1212 1212 1212
अधूरी रहती इन लबों की प्यास है
है पहनी गर्म बाहों की लिबास है
बदन में घुलती चाशनी-ए-इश्क़ जो
बड़ी लजीज़ इश्क़ की मिठास है।
Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
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अधूरी रहती इन लबों की प्यास है
है पहनी गर्म बाहों की लिबास है
बदन में घुलती चाशनी-ए-इश्क़ जो
बड़ी लजीज़ इश्क़ की मिठास है।
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Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
ईद के मुक्कदस मौके पर, आज तो आकर मिल जाओ
है दरमियाँ गिले-शिकवे, आज गले लगाकर भूल जाओ
क़ुबूल करके यह रिश्ता, ख़ुदा ने प्यार से इसे है नवाज़ा
रिश्ते में है गलतफहमी की दरार, आज इसे सिल जाओ।
आप सभी को ईद मुबारक🌙🌠
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
यकीन है खुदा पर तभी इम्तिहान ले रहा है मेरा
दर्द दे कर रुलाता है, फ़िर हँसाता भी है
बार बार गिराता है, फ़िर उठाता भी है
मैं भी देखती हूँ कि दर्द जीतता है या यकीन मेरा।
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लोग हमे पागल समझते है, हमारी हँसी को देखकर
अब उन्हें क्या पता इस हँसी के पीछे रखते है कितने दर्द छिपाकर।
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जिन आँखों में गहरा झील बसता था
जिंदगी ने है इतना रुलाया
सूख गया है ग़म-ए-समंदर
अब तो अश्क़ भी नहीं गिरता।
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उसने कहा दवाई ले लो ताकि दिल का दर्द कम हो
अब उन्हें कैसे कहे कि दिल के हक़ीम ही तुम हो।
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शेरो-शायरी लिखना हमें कहा आता है
ये तो दिल के एहसास है जो उभर आते है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
“खुशी”
मुद्दतों से देख रहे थे राह तेरी
तू आयी भी तो तब
जब सफ़र ख़त्म होने को है।
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गलत सोच थी मेरी
दुःख की इमारत मेरी है सबसे बड़ी
जब किया मैंने सफ़र
हर इमारत बड़ी निकली।
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ज़्यादा नही बदला मेरा बचपन
पहले सब रोकते थे
और हम खेलते थे
अब सब खेल रहे है हमसे
और हम रुके हुए से हैं।
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प्यार हुआ पर पूरा ना हुआ
ख़्वाब देखा पर ज़रा देर से देखा
मुलाक़ातें हुई मगर अधूरी रही
जुदा हुए मगर एहसास कम ना हुआ।
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बाहों में उनके लेते ही हम तो पिघल से गये
पता ही नही चला कब हम उनके इतने क़रीब आ गए।
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अक्सर हमारे पैरों में कांटा चुभना भी गवारा नही था उनको
अब दिल के ज़ख़्म का भी एहसास नहीं उनको।
~Jalpa