कहते है हर एक के जीवन में कोई न कोई प्रेरणा बनकर आता है
पिता, माँ, भाई, बहन, दोस्त, सेलेब्रिटी, या फ़िर कोई अजनबी
वैसे ही मेरे जीवन में मेरी प्रेरणा बनी मेरी माँ।
बचपन से देखती आ रही हूँ तब समझ थोड़ी कम थी
आज समझ में आया माँ के अंदर कितनी ख़ासियत थी।
माँ की दिनचर्या सुबह के पहले पहर से शुरू हो जाती
सर्दी हो या गर्मी पहले घर का आँगन साफ़ करती।
नाहकर प्रभु का ध्यान धरती, घर मे भी साड़ी पहनती
उनकी वो बिंदी, वो चूड़िया, आँखों का वो सूरमा
हमारे उठने तक तो चाय-नास्ता भी बन जाता।
मेरे भी थे अरमान माँ के जैसा पहनावा मैं भी पहनूँगी
बड़ी हो कर कुछ अवसर पर भी बड़ी जहमत से सब संभाल पाती।
कैसे कर लेती थी माँ ये सब पहनकर भी घर का सारा काम
सबकी जरूरते पहले पूरी करती अपना ख़ुद का कहा था उसको ध्यान।
एक तो घर का काम, फ़िर बाहर पानी भरने जाना
क्या इतना कम था कि मंदिर में भी करती थी समाज सेवा।
कहाँ से मिलता था इतना समय, आज सब सुख-सुविधा
के बावजूद भी हम कहते है समय कहाँ है हमारे पास।
हमें पढ़ाना-लिखाना, तैयार करके पाठशाला भेजना
सब की पसंद का खाना बनाना
जितना लिखूं उतना कम पड जाए
शायद माँ पर लिखने के लिए दुनिया के सारे कागज़ भी कम पड़ जाए।
खाना पकाना सिखाती, तमीज़ से बात करना सिखाती
घर के सारे काम से लेकर बाहर की दुनिया का ज्ञान भी देती।
रात को बिना भूले दूध देती कभी मना करे तो डांट कर भी पिलाती
पूरे दिन का हाल बतियाती, बड़े प्यार से साथ में सुलाती।
सब के सोने के बाद आख़िर में वो सोती सर्दी में आधी
रात में अपना कम्बल भी हम बच्चों को ओढ़ाती।
फ़िर भी सुबह पहेले उठ जाती, आज तक नहीं पूछा,
आज पूछती हूँ ऐ माँ ! क्या तुम थक नहीं जाती?
बताओ ना माँ, क्या तुम थक नहीं जाती?
हमें साफ सुथरा रखना, खाना खिलाना, दूध देना
पढ़ाना, हमारे साथ खेलना नित्यक्रम था उनका।
पता नही क्या बरकत है उनके हाथों में
थोड़े में भी कितना चलाती फ़िर भी कभी पेट रहा न हमारा खाली।
इतनी उम्र में भी आज है वो चुस्त-दुरुस्त आज भी वो कितना काम कर लेती
फ़िर भी टी. वी. पर अपनी पसंदीदा सीरियल छूट ने नहीं देती।
मुझे कहती है तू अकेली कितना काम करेगी
इतनी छोटी उम्र में भी माँ जितना मैं नही कर पाती।
माँ का कोई मोल नहीं ,माँ तो अनमोल है
आज मैं जो भी हुँ, जो भी मुझे आता है
मेरी माँ के दिये संस्कार है, मेरी माँ का दिया प्यार है।
सब कहते है मैं माँ की परछाईं हूँ
पर माँ मैं तेरे तोले कभी ना आ पाऊँगी
मेरी माँ मेरी प्रेरणा है, मेरी माँ मेरे लिये भगवान है।
बस इतना ही कहना चाहूँगी
अब अपने आँसुओं को रोक ना पाऊँगी
इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी….
इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी….
~Jalpa
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