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जज़्बात की ग़ज़ल

मेरे दिल में दफ़न जज़्बात कभी उभर जाते हैं,

ये कागज़ कलम वो एहसास बयाँ कर जाते हैं।

मन के भंडार में छुपे ख़यालात,भावों में पिरोकर,

अनकहे अल्फ़ाज़ को कागज़ पर उतार जाते हैं।

रच  जाती है  पूरी किताब दास्ताँ-ए-ज़िंदगी की,

कि जज़्बात की ग़ज़ल से हर सफ़ा भर जाते हैं।

© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)

शुक्रिया।

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किताब-ए-ज़ीस्त

किताब-ए-ज़ीस्त के असरार खुल रहे हैं,
हर पन्ने पर कहानी के किरदार बदल रहे हैं।

खुशी की स्याही से लिखी हैं कुछ इबारत,
तो कोई कागज़ गम-ए-हयात से जल रहे हैं।

पीले ज़र्द पन्ने की कोने में पड़ी हैं सिसकती,
राज़ बेपर्दा होते ही हर इक सफ़ा मसल रहे हैं।

© Jalpa lalani ‘Zoya’

शुक्रिया।