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कि दर्द-ए-दिल ये दिलबर ने दिया है,
कतल ये इश्क़ का उसने किया है।
मुहब्बत में सनम ने करके धोखा,
बदल ज़ालिम ने ख़ुद को ही लिया है।
जो मेरी रूह पर खंजर चला तो,
वो हर अश्क़-ए-लहू मैंने पिया है।
मेरी हर साँस में है साँसें उसकी,
न इक लम्हा भी उसके बिन जिया है।
नहीं मांगा था हमने तो कभी भी,
ये ग़म का तोहफ़ा फ़िर क्यों दिया है!
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’