गणतंत्र दिवस पर मेरे द्वारा लिखी गई हिन्दी कविता।
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Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
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1122 1212 1121
जो बरसता है तेरे इश्क़ का आब,
तो है खिल उठता मेरे दिल का गुलाब।
कि मुनव्वर करे अँधेरी ये रात ,
तिरी सूरत का परतव-ए-माहताब।
तिरी क़ुर्बत में कुछ अजब सा नशा है,
ख़ुशी से झूमा हूँ बिना ही शराब।
कहीं लग जाए ना नज़र तुझे सबकी,
कि ज़रा रुख़ पे पहनो तुम भी हिजाब।
यूँ जमाल-ए-सनम की आँखों के आगे,
फ़िके पड़ते सितारे ओ आफ़ताब।
तिरा ‘ज़ोया’ दिवाना कौन नहीं है!
मिला है ये शरीफ़ को भी ख़िताब।
Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित
2212 2212
मैं लब हूँ वो अल्फ़ाज़ है,
मैं नज़्म, वो जज़्बात है।
दिल की ज़मीं सूखी मेरी,
वो अब्र, वो बरसात है।
हर वक़्त, हर पल पास है,
वो दिन, वो मेरी रात है।
फ़िक्र-ए-सुख़न में मेरी वो,
तहरीर का एहसास है।
क़ुरआन का वो हर सफ़ा,
वो सूरा वो आयात है।
वो ज़ीस्त-ए-ज़ोया की हर,
खुशियों की वो सौग़ात है।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया😊
1222 1222 1222 1222
तिरी ये इश्क़ की बारिश से, अब ये दिल ना भरता है,
कि महफ़िल-ए-मुहब्बत में, ये मन ग़मगीन रहता है।
तसव्वुर से मिटा दी है यूँ हर इक याद को तेरी,
कि जितना भूलना चाहूँ तू उतना याद आता है।
मुझे ये है ख़बर जिंदा है अब तक तू सनम मेरे,
कि जब तू साँस लेता है ये मेरा दिल धड़कता है।
नहीं मिटते निशां तेरे क़दम के जब मैं चलती हूँ,
कि अब भी साथ में मेरे तिरा ही अक्स दिखता है।
न समझेगा कभी भी वो तेरे जज़्बात को ‘ज़ोया’,
तुझे वो छोड़ किसी ग़ैर की बाहों में सोता है।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया😊
दोस्तों बह्र में मेरी पहली ग़ज़ल पेश-ए-ख़िदमत है।
बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222
मिरी हर बात में, हर लफ़्ज़ में तुम हो,
जुदा ना मुझसे, मेरे अक्स में तुम हो।
तिरी ख़ुश्बू से मेरी, साँसें है चलती,
मिरे दिल तक हैं जो,हर नब्ज़ में तुम हो।
तू ही रब, तू दुआ भी हो सनम मेरे,
यूँ शामिल ऐसे, मेरी नफ़्स में तुम हो।
तू है उनवान तू ही इख़्तिताम भी है,
किताब-ए-ज़िन्दगी के हर्फ़ में तुम हो।
शुरू तुझ से, ख़तम तुझ पे मिरी तहरीर,
यूँ ‘ज़ोया’ की ग़ज़ल, हर नज़्म में तुम हो।
स्वरचित (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
उर्दू शब्दों के अर्थ:- [ इख़्तिताम=समापन, ending/ तहरीर=लेखनी/ नब्ज़=रग/ नफ़्स=आत्मा,रूह/ उनवान=शीर्षक]
हिन्दी मेरी पहचान है, दिल से उसे अपनाया है
विविधता में, हर भारतीय हिन्दी से जुड़ पाया है
मातृभाषा पर गर्व करें, हिन्दी हमारे राष्ट्र की धरोहर है
राजभाषा का सम्मान करें, हिन्दी संस्कृति की बुनियाद है
संस्कृत से उद्गम हुई, हिन्दी देवनागरी लिपि है
सबसे सरल, सहज, प्यारी, हिन्दी भाषा मीठी है
हिन्दी बोलने वालों का न करो अपमान, करें हिन्दी का मान
हिन्दी दिवस का है विशेष स्थान, विश्व में बढ़ाओ इसकी शान।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳