सादर नमन पाठकों।🙏
आज दशहरा के पावन पर्व पर प्रस्तुत है मेरे द्वारा रचित दोहे।
आप सभी को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
इह बसत हैं सब रावण, ना खोजो इह राम।
पाप करत निस बित जाए, प्रात भजत प्रभु नाम।।
अंतर्मन बैठा रावण, दुष्ट का करो नाश।
हिय में नम्रता जो धरे, राम करत उहाँ वास।।
कोप, लोभ, दंभ, आलस, त्यजो सब यह काम।
रखो मुक्ति की आस, नित भजो राम नाम।।
पाप का सुख मिलत क्षणिक, अंत में खाए मात।
अघ-अनघ के युद्ध में, पुण्य विजय हो जात।।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
धन्यवाद।