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रातें बीत जाती हैं

बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन

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यूँ तन्हाई में अक्सर मेरी, रातें बीत जाती हैं,

बिना मेरे कैसे उन्हें, सुकूँ से नींद आती है!

जमीं पे दो सितारों के, मिलन से है फ़लक रौशन,

हो गर सच्ची मुहब्बत फ़िर, ये काएनात मिलाती है।

नहीं बनना ज़रूरत वक़्त के साथ जो बदल जाए,

मुझे आदत बना लो, उम्र भर जो साथ निभाती है।

मिरे दिल के सफ़े पे नाम, तेरा लिक्खे रखती हूँ,

उसे आँखों से छलके अश्क़ की बूंदे मिटाती हैं।

यूँ हर मिसरे में उल्फ़त, घोल देती है क़लम मेरी,

ग़ज़ल पढ़कर ये ना कहना, कि ‘ज़ोया’ तो जज़्बाती है।

Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’

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जीने की हसरत है

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नहीं सीने में दिल फ़िर भी मुझे जीने की हसरत है,

अजब है ये हुई भी चोर-ए-दिल से ही यूँ चाहत है।

यूँ आँखें मूंद कर सब पर यकीं कर लेती हूँ अक्सर,

मिले धोखा तो कह देती यही तो मेरी किस्मत है।

हूँ बर्दाश्त के क़ाबिल, मुश्किलें यूँ मुझ पे आती हैं,

यक़ीनन हूँ नज़र में मौला की ये उसकी रहमत है।

ये ना समझो कि कोई ग़म नहीं होता है मुझ को भी,

छुपाना दर्द को अब बन गई मेरी भी आदत है।

अदा ‘ज़ोया’ न कर पाओ नमाज़, करना मदद सबकी 

समझ लेना ख़ुदा की कर ली तूने वो इबादत है।

Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’

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जज़्बात लिखती हूँ

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फ़क़त अल्फ़ाज़ ना ये समझो, मैं जज़्बात लिखती हूँ,

लबों पे है दबी जो मैं, वो दिल की बात लिखती हूँ।

बेशक़ वाकिफ़ हूँ मैं भी, तल्ख़ी-ए-हालात से तेरे,

कभी ना होगी तुझसे मैं, वो ही मुलाक़ात लिखती हूँ।

ख़याल-ए-ग़म-ए-मोहब्बत में कट जाता है दिन मेरा,

गुज़र जाती बिना तेरे, वो तन्हा रात लिखती हूँ।

तिरी इस बेरुखी से अब ये मेरा दिल सुलगता है,

गिरे जो आँखों से वो अश्क़ की बरसात लिखती हूँ।

कि दिल में दर्द होठों पे तबस्सुम रखती है ‘ज़ोया’,

लहू की स्याही से मैं दर्द की आयात लिखती हूँ।

[ तल्ख़ी-ए-हालात=bitterness of situation / तबस्सुम=smile ]

Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’

(स्वरचित / सर्वाधिकार सुरक्षित)

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गुलाबी यादें

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तुम्हारी यूँ गुलाबी यादें आती है,

मिरे दिल को सुकूँ थोड़ा दे जाती है।

गुज़र जाता है यादों के सहारे दिन,

जुदाई तेरी, रातों में सताती है।

तसव्वुर में शुआओं सी तिरी सूरत,

मुझे अब भी ये सोते से जगाती है।

कि करती है मुहब्बत वो हमें इतनी,

न जाने फ़िर जहाँ से क्यों छुपाती है।

यूँ ख़्वाबों में मिरे आकर कभी वो तो,

हँसाती है, कभी वो ही रुलाती है।

ये कैसा रिश्ता है, ये राब्ता कैसा,

बुलाती पास है फ़िर दूर जाती है।

Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’

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मुहब्बत की क़ैद

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ये कैद-ए-इश्क़ से ‘जाना’ तुझे आज़ाद करते है,

मुकम्मल आज तेरी और इक मुराद करते है।

भुला देना मुझे बेशक़ जो चाहो भूलना पर हम,

कहेंगे ना कभी तुम्हें कि कितना याद करते है।

खता कर बैठते है हम मुहब्बत में तिरी यूँ ही,

कि अक्सर उस ख़ुदा का ज़िक्र तेरे बाद करते है।

किया महबूब का सजदा मैंने, की है इबादत भी,

वो ठुकरा के मिरा ये इश्क़ कहीं ईजाद करते है।

कि वो बरबाद करके ज़ोया को, मासूम बन बैठे

दिखाने को किसी की ज़िन्दगी आबाद करते है।

Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’

स्वरचित , सर्वाधिकार सुरक्षित

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कतल इश्क़ का

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कि दर्द-ए-दिल ये दिलबर ने दिया है,
कतल ये इश्क़ का उसने किया है।

मुहब्बत में सनम ने करके धोखा,
बदल ज़ालिम ने ख़ुद को ही लिया है।

जो मेरी रूह पर खंजर चला तो,
वो हर अश्क़-ए-लहू मैंने पिया है।

मेरी हर साँस में है साँसें उसकी,
न इक लम्हा भी उसके बिन जिया है।

नहीं मांगा था हमने तो कभी भी, 
ये ग़म का तोहफ़ा फ़िर क्यों दिया है!

Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’

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हिन्दी मेरी पहचान है

हिन्दी मेरी पहचान है, दिल से उसे अपनाया है
विविधता में, हर भारतीय हिन्दी से जुड़ पाया है

मातृभाषा पर गर्व करें, हिन्दी हमारे राष्ट्र की धरोहर है
राजभाषा का सम्मान करें, हिन्दी संस्कृति की बुनियाद है 

संस्कृत से उद्गम हुई, हिन्दी देवनागरी लिपि है
सबसे सरल, सहज, प्यारी, हिन्दी भाषा मीठी है

हिन्दी बोलने वालों का न करो अपमान, करें हिन्दी का मान
हिन्दी दिवस का है विशेष स्थान, विश्व में बढ़ाओ इसकी शान।

Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’

आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳

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चल दूर कहीं

चल इस दुनिया से दूर कहीं हम दोनों चले जाते हैं,
नदी से मोहब्बत और फल से मीठा रस लाते हैं।

आसमाँ को चादर और जमीं को बिछौना बनाते हैं,
सूरज की रोशनी और ठंडी हवा से सुकून पाते हैं।

फूलों से खुशबू और चाँद से चाँदनी चुरा लाते हैं,
चलो उस जन्नत में जाकर आशियाना बनाते हैं।

© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)

सर्वाधिकार सुरक्षित

शुक्रिया

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नया साल मुबारक हो

कुछ डायरी के पन्ने भरेंगे इस साल में

पिछले बरस कई कोरे कागज़ छूट गए थे।

अब के बरस दिल के जज़्बात को बयां करना है कलम से

पिछले साल तो स्याही ही ख़त्म थी कलम में।

नये साल में कुछ नये दोस्त बन गए हैं

तो पिछले बरस के दोस्तों से कभी कभी बातें होती है।

कुछ दर्द चिल्ला उठे थे पिछले बरस में

अबके साल खुशियों की कविताएँ गाएंगे।

बहुत कुछ अधूरा रह गया पिछले साल में

बहुत ख्वाहिशें लेके दाखिल हुए हैं इस साल में।

बुरे लम्हे की कड़वी यादों को दफन कर दी है बंजर जमीं में

उन खूबसूरत यादों को जमा कर आए हैं बैंक के खाते में।

पिछले बरस में अब मुड़कर मत देखो

चल पड़ो आगे नया साल सब को मुबारक हो।

© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)

सर्वाधिकार सुरक्षित

Happy New Year💝🎉

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मेरी कविता

‘मेरी कविता’ उनवान पर आज हूँ लिखती मेरी कविता,
सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, मेरे जज़्बात बयां कर जाती मेरी कविता।

मेरी कविता में लिखा है मैंने ज़िंदगी का तज़ुर्बा,
सिर्फ पंक्तियां नहीं, एहसास महसूस कराती मेरी कविता।

मेरी कविता फ़क़त एक दास्ताँ नहीं, ख़ुलूस-ए-निहाँ हैं,
सिर्फ तसव्वुर नहीं, हरेक मर्ज़ की दवा देती मेरी कविता।

मेरी कविता सिर्फ दुनयावी खूबसूरती नहीं दिखाती,
क़ायनात से मोहब्बत, रहम करना सिखाती मेरी कविता।

सिर्फ लय, छंद, अलंकार नहीं, मेरी कविता बजती तरंग है,
माँ शारदे की आराधना से है आती मेरी कविता।

© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)

सर्वाधिकार सुरक्षित

Note: यह रचना प्रकाशित हो चुकी है और कॉपीराइट के अंतर्गत आती है।

शुक्रिया।