1212 1212 1212
अधूरी रहती इन लबों की प्यास है
है पहनी गर्म बाहों की लिबास है
बदन में घुलती चाशनी-ए-इश्क़ जो
बड़ी लजीज़ इश्क़ की मिठास है।
Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
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अधूरी रहती इन लबों की प्यास है
है पहनी गर्म बाहों की लिबास है
बदन में घुलती चाशनी-ए-इश्क़ जो
बड़ी लजीज़ इश्क़ की मिठास है।
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आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।🇮🇳
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ख़ुदा के इशारों को समझ, हैं सही रब के फ़ैसले
मुश्किलात में वही देता है, तुम्हें सब्र और हौसले
इबादत, सख़ावत करके, कुछ नेकियां करले बंदे
सजदे में सर झुकाकर, गुनाहों से तौबा तू कर ले।
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मुझे छोड़कर, बना दे तू अजनबी, अगर मुझसे नफ़रत है,
दूर मुझसे होकर, बढ़ती तेरी बेताबी, क्या ये तेरी उल्फ़त है!
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बुझती नहीं मन की प्यास, नहीं होती तेरे इश्क़ की बरसात,
ढलती शब में करते उजास, तेरे साथ बिताए हरेक लम्हात।
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बहुत कुछ बदलता हैं वक़्त के साथ
बदलते रहते हैं हालात और ख़्यालात
इतने आहत हो जाते हैं बाज़ औक़ात
कि ता-उम्र सुलगते रहते हैं जज़्बात
जो बुझा पाए इस दिल की आग
नहीं होती कभी वो इश्क़ की बरसात।
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यूँ तो मेरा दिल बेशक़ तेरे दिए ज़ख्मों से मज़लूम है,
दिल चीर के देखना अब भी तेरी जगह मुस्तहकम है।
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उर्दू शब्दों के अर्थ: सख़ावत=दान / तौबा=माफ़ी / उल्फ़त=प्यार / शब=रात / लम्हात=वक़्त / बाज़-औक़ात= कभी कभी / मज़लूम=आहत / मुस्तहकम=अटल
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
शुक्रिया
ग़म-ए-ज़िंदगी में जीने की चाहत होनी चाहिए,
तिजारत-ए-इश्क़ में प्यार की दौलत होनी चाहिए।
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माना ख़ार के बीच महकता गुलाब हो तुम,
बेशक ताउम्र पढ़ना चाहो वो किताब है हम।
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ख़्वाबों की बंद खिड़की खोल, वो सजा गया मेरी दुनिया,
हालात ने क्या दस्तक दी, उसने बदल दिया तौर तरीका।
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सच की पाठशाला में जब से इश्क़ है पढ़ लिया,
ख़ुदा-ए-पाक के नाम रूह पर इश्क़ लिख दिया।
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बस जाए दिल-ओ-दिमाग में हर लम्हा,
भर जाए किताब-ए-ज़ीस्त का हर पन्ना।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
उर्दू शब्दों के अर्थ: तिजारत=व्यापार/ ख़ार=कांटा/ किताब-ए-ज़ीस्त= ज़िंदगी की किताब
शुक्रिया
यकीन है खुदा पर तभी इम्तिहान ले रहा है मेरा
दर्द दे कर रुलाता है, फ़िर हँसाता भी है
बार बार गिराता है, फ़िर उठाता भी है
मैं भी देखती हूँ कि दर्द जीतता है या यकीन मेरा।
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लोग हमे पागल समझते है, हमारी हँसी को देखकर
अब उन्हें क्या पता इस हँसी के पीछे रखते है कितने दर्द छिपाकर।
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जिन आँखों में गहरा झील बसता था
जिंदगी ने है इतना रुलाया
सूख गया है ग़म-ए-समंदर
अब तो अश्क़ भी नहीं गिरता।
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उसने कहा दवाई ले लो ताकि दिल का दर्द कम हो
अब उन्हें कैसे कहे कि दिल के हक़ीम ही तुम हो।
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शेरो-शायरी लिखना हमें कहा आता है
ये तो दिल के एहसास है जो उभर आते है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
ख़ुद से ख़ुद का जोड़ लिया है राब्ता
इस फ़रेबी दुनिया में अब नहीं आता किसी पर भरोषा।
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सब को दर्द बाँटते बाँटते
हमदर्द तो नहीं मिला
हर बार ज़ख्म ताज़ा हुआँ
अब मरहम भी नहीं मिलता।
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कमरा भी इतना महक ने लगा कि
इतनी खुश्बू ही उनकी बातों में थी।
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आख़िर किस हद तक रिश्ते में झुका जाए
यह तराजू है जिंदगी का
गर दोनो और से समान रखा जाए
तो घाटा नहीं होगा किसिका।
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क्यूँ शिकायत करते हो कि तन्हा हूँ दिल से
यहाँ हर कोई अकेला है भरी महफ़िल में।
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आ गया उनपे हमें इतना एतबार
एक दिन कर दिया उसने इज़हार
हो गया था हमें भी प्यार
कर बैठे हम भी इक़रार।
~Jalpa