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Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
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© Jalpa lalani ‘Zoya’
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
यूँ तन्हाई में अक्सर मेरी, रातें बीत जाती हैं,
बिना मेरे कैसे उन्हें, सुकूँ से नींद आती है!
जमीं पे दो सितारों के, मिलन से है फ़लक रौशन,
हो गर सच्ची मुहब्बत फ़िर, ये काएनात मिलाती है।
नहीं बनना ज़रूरत वक़्त के साथ जो बदल जाए,
मुझे आदत बना लो, उम्र भर जो साथ निभाती है।
मिरे दिल के सफ़े पे नाम, तेरा लिक्खे रखती हूँ,
उसे आँखों से छलके अश्क़ की बूंदे मिटाती हैं।
यूँ हर मिसरे में उल्फ़त, घोल देती है क़लम मेरी,
ग़ज़ल पढ़कर ये ना कहना, कि ‘ज़ोया’ तो जज़्बाती है।
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1222 1222 1222 1222
नहीं सीने में दिल फ़िर भी मुझे जीने की हसरत है,
अजब है ये हुई भी चोर-ए-दिल से ही यूँ चाहत है।
यूँ आँखें मूंद कर सब पर यकीं कर लेती हूँ अक्सर,
मिले धोखा तो कह देती यही तो मेरी किस्मत है।
हूँ बर्दाश्त के क़ाबिल, मुश्किलें यूँ मुझ पे आती हैं,
यक़ीनन हूँ नज़र में मौला की ये उसकी रहमत है।
ये ना समझो कि कोई ग़म नहीं होता है मुझ को भी,
छुपाना दर्द को अब बन गई मेरी भी आदत है।
अदा ‘ज़ोया’ न कर पाओ नमाज़, करना मदद सबकी
समझ लेना ख़ुदा की कर ली तूने वो इबादत है।
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‘Holi’
H- Have a dive into
O- Ocean of colors
L- Light up the lamp of love
I- In everyone’s heart.
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1222 1222 1222 1222
फ़क़त अल्फ़ाज़ ना ये समझो, मैं जज़्बात लिखती हूँ,
लबों पे है दबी जो मैं, वो दिल की बात लिखती हूँ।
बेशक़ वाकिफ़ हूँ मैं भी, तल्ख़ी-ए-हालात से तेरे,
कभी ना होगी तुझसे मैं, वो ही मुलाक़ात लिखती हूँ।
ख़याल-ए-ग़म-ए-मोहब्बत में कट जाता है दिन मेरा,
गुज़र जाती बिना तेरे, वो तन्हा रात लिखती हूँ।
तिरी इस बेरुखी से अब ये मेरा दिल सुलगता है,
गिरे जो आँखों से वो अश्क़ की बरसात लिखती हूँ।
कि दिल में दर्द होठों पे तबस्सुम रखती है ‘ज़ोया’,
लहू की स्याही से मैं दर्द की आयात लिखती हूँ।
[ तल्ख़ी-ए-हालात=bitterness of situation / तबस्सुम=smile ]
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(स्वरचित / सर्वाधिकार सुरक्षित)
1222 1222 1222
तुम्हारी यूँ गुलाबी यादें आती है,
मिरे दिल को सुकूँ थोड़ा दे जाती है।
गुज़र जाता है यादों के सहारे दिन,
जुदाई तेरी, रातों में सताती है।
तसव्वुर में शुआओं सी तिरी सूरत,
मुझे अब भी ये सोते से जगाती है।
कि करती है मुहब्बत वो हमें इतनी,
न जाने फ़िर जहाँ से क्यों छुपाती है।
यूँ ख़्वाबों में मिरे आकर कभी वो तो,
हँसाती है, कभी वो ही रुलाती है।
ये कैसा रिश्ता है, ये राब्ता कैसा,
बुलाती पास है फ़िर दूर जाती है।
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1212 1212 1212
अधूरी रहती इन लबों की प्यास है
है पहनी गर्म बाहों की लिबास है
बदन में घुलती चाशनी-ए-इश्क़ जो
बड़ी लजीज़ इश्क़ की मिठास है।
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गणतंत्र दिवस पर मेरे द्वारा लिखी गई हिन्दी कविता।
Watch full video on YouTube. Click on the link below.
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1222 1222 1222 1222
ये कैद-ए-इश्क़ से ‘जाना’ तुझे आज़ाद करते है,
मुकम्मल आज तेरी और इक मुराद करते है।
भुला देना मुझे बेशक़ जो चाहो भूलना पर हम,
कहेंगे ना कभी तुम्हें कि कितना याद करते है।
खता कर बैठते है हम मुहब्बत में तिरी यूँ ही,
कि अक्सर उस ख़ुदा का ज़िक्र तेरे बाद करते है।
किया महबूब का सजदा मैंने, की है इबादत भी,
वो ठुकरा के मिरा ये इश्क़ कहीं ईजाद करते है।
कि वो बरबाद करके ज़ोया को, मासूम बन बैठे
दिखाने को किसी की ज़िन्दगी आबाद करते है।
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स्वरचित , सर्वाधिकार सुरक्षित
इज़हार-ए-इश्क़ में कुछ क़समें झूठी सी उसने खाई थी,
यक़ीन नहीं आता, क्या मोहब्बत भी झूठी दिखाई थी?
सरेआम नीलाम कर दिए उसने मेरे हर एक ख़्वाब को,
जिसने मेरे दिन का चैन औ मेरी रातों की नींद चुराई थी।
जिसे समझ बैठी थी मैं आग़ाज़-ए-मोहब्बत हमारी,
दरअसल वो तो मिरे दर्द-ए-दिल की इब्तिदाई थी।
यूँ तो नज़रअंदाज़ कर गई मैं उसकी सारी गलतियां,
मगर क्या अच्छाई के पीछे भी छुपी उसकी बुराई थी!
अब कैसा गिला और क्या शिकायत करूँ उससे!
जब दोनों के मुक़द्दर में ही लिखी गई जुदाई थी।
उसकी इतनी बे-हयाई और बेवफ़ाई के बावज़ूद भी,
माफ़ कर दिया उसे, ये तो ‘ज़ोया’ की भलाई थी।
[इब्तिदाई=शुरुआत]
Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित
1122 1212 1121
जो बरसता है तेरे इश्क़ का आब,
तो है खिल उठता मेरे दिल का गुलाब।
कि मुनव्वर करे अँधेरी ये रात ,
तिरी सूरत का परतव-ए-माहताब।
तिरी क़ुर्बत में कुछ अजब सा नशा है,
ख़ुशी से झूमा हूँ बिना ही शराब।
कहीं लग जाए ना नज़र तुझे सबकी,
कि ज़रा रुख़ पे पहनो तुम भी हिजाब।
यूँ जमाल-ए-सनम की आँखों के आगे,
फ़िके पड़ते सितारे ओ आफ़ताब।
तिरा ‘ज़ोया’ दिवाना कौन नहीं है!
मिला है ये शरीफ़ को भी ख़िताब।
Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित
1222 1222 122
कि दर्द-ए-दिल ये दिलबर ने दिया है,
कतल ये इश्क़ का उसने किया है।
मुहब्बत में सनम ने करके धोखा,
बदल ज़ालिम ने ख़ुद को ही लिया है।
जो मेरी रूह पर खंजर चला तो,
वो हर अश्क़-ए-लहू मैंने पिया है।
मेरी हर साँस में है साँसें उसकी,
न इक लम्हा भी उसके बिन जिया है।
नहीं मांगा था हमने तो कभी भी,
ये ग़म का तोहफ़ा फ़िर क्यों दिया है!
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
2212 2212
मैं लब हूँ वो अल्फ़ाज़ है,
मैं नज़्म, वो जज़्बात है।
दिल की ज़मीं सूखी मेरी,
वो अब्र, वो बरसात है।
हर वक़्त, हर पल पास है,
वो दिन, वो मेरी रात है।
फ़िक्र-ए-सुख़न में मेरी वो,
तहरीर का एहसास है।
क़ुरआन का वो हर सफ़ा,
वो सूरा वो आयात है।
वो ज़ीस्त-ए-ज़ोया की हर,
खुशियों की वो सौग़ात है।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया😊
1222 1222 1222 1222
तिरी ये इश्क़ की बारिश से, अब ये दिल ना भरता है,
कि महफ़िल-ए-मुहब्बत में, ये मन ग़मगीन रहता है।
तसव्वुर से मिटा दी है यूँ हर इक याद को तेरी,
कि जितना भूलना चाहूँ तू उतना याद आता है।
मुझे ये है ख़बर जिंदा है अब तक तू सनम मेरे,
कि जब तू साँस लेता है ये मेरा दिल धड़कता है।
नहीं मिटते निशां तेरे क़दम के जब मैं चलती हूँ,
कि अब भी साथ में मेरे तिरा ही अक्स दिखता है।
न समझेगा कभी भी वो तेरे जज़्बात को ‘ज़ोया’,
तुझे वो छोड़ किसी ग़ैर की बाहों में सोता है।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया😊
आप सभी को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।💥🎆
मन के तम को दूर कर, जलाओ आज दीप।
जीवात्मा प्रज्वलित कर, जला लो अमरदीप।।१।।
जो घर हो नारी मान, लक्ष्मी आए उस द्वार।
रखें देह, मन, हिय साफ़, मिले वैभव अपार।।२।।
जलती बाती तम हरे, दीपक तो आधार।
अमावस में उजास करे, दीपों का त्योहार।।३।।
बुराई पर अच्छाई की, विजय हुई थी आज।
निज बुराई को तज कर, कीजिए अच्छे काज।।४।।
रंगों से सजा हर द्वार, लाए घर में उमंग।
लहराती दीपक ज्योति, भरे मन में तरंग।।५।।
पर्व है दीवाली का, हुआ जगमग संसार।
शहीदों के नाम जलाए, एक दीपक इस बार।।६।।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
धन्यवाद।
2212 2212 2212 2212 बह्र में ग़ज़ल
तेरी जुदाई में जी पाएंगे कभी सोचा न था,
वो था फ़रेब-ए-इश्क़ तेरा, वो भी तो सच्चा न था।
एतबार के धागे से बंधा राब्ता था अपना जो,
यूँ टूटा इतना भी हमारा रिश्ता ये कच्चा न था।
ख़्वाहिश थी तुझको इक दफ़ा देखूँ पलटकर भी मगर,
मुझको यूँ ही जाते हुए तूने कभी रोका न था।
तुझ से बिछड़के क्या ग़म-ओ-अफसोस करना ऐ सनम,
खोने का भी क्या रंज हो जिसको कभी पाया न था।
सह भी लिए ज़ोया ने सब ज़ुल्म-ओ-सितम भी इसलिए,
खोया था अपनों को, तुझे भी अब उसे खोना न था।
स्वरचित (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
दोस्तों बह्र में मेरी पहली ग़ज़ल पेश-ए-ख़िदमत है।
बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222
मिरी हर बात में, हर लफ़्ज़ में तुम हो,
जुदा ना मुझसे, मेरे अक्स में तुम हो।
तिरी ख़ुश्बू से मेरी, साँसें है चलती,
मिरे दिल तक हैं जो,हर नब्ज़ में तुम हो।
तू ही रब, तू दुआ भी हो सनम मेरे,
यूँ शामिल ऐसे, मेरी नफ़्स में तुम हो।
तू है उनवान तू ही इख़्तिताम भी है,
किताब-ए-ज़िन्दगी के हर्फ़ में तुम हो।
शुरू तुझ से, ख़तम तुझ पे मिरी तहरीर,
यूँ ‘ज़ोया’ की ग़ज़ल, हर नज़्म में तुम हो।
स्वरचित (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
उर्दू शब्दों के अर्थ:- [ इख़्तिताम=समापन, ending/ तहरीर=लेखनी/ नब्ज़=रग/ नफ़्स=आत्मा,रूह/ उनवान=शीर्षक]
हिन्दी मेरी पहचान है, दिल से उसे अपनाया है
विविधता में, हर भारतीय हिन्दी से जुड़ पाया है
मातृभाषा पर गर्व करें, हिन्दी हमारे राष्ट्र की धरोहर है
राजभाषा का सम्मान करें, हिन्दी संस्कृति की बुनियाद है
संस्कृत से उद्गम हुई, हिन्दी देवनागरी लिपि है
सबसे सरल, सहज, प्यारी, हिन्दी भाषा मीठी है
हिन्दी बोलने वालों का न करो अपमान, करें हिन्दी का मान
हिन्दी दिवस का है विशेष स्थान, विश्व में बढ़ाओ इसकी शान।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
आप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳
अज्ञान का अंधकार मिटाकर, ज्ञान का दीपक जलाता है
उँच-नीच ना देखकर, वो अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाता है
सत्य, अनुशासन का पाठ पढ़ाकर, हर बुराई मिटाता है
हर सवाल का जवाब देकर, सारी उलझन सुलझाता है
भटके हुए को राह दिखाकर, वह मार्गदर्शक बन जाता है
स्वयं में आत्मविश्वास जगाकर,लक्ष्य की मंजिल दिखाता है
पाप एवं लालच त्याग कर, धार्मिक संस्कार सिखाता है
गुमनामी से बाहर लाकर, एक नई पहचान दिलाता है
अज्ञानता के भंवर से निकाल कर, नैया पार लगाता है
संचित ज्ञान का धन देकर, सबका जीवन संवारता है
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का योगदान सफल हो जाता है
शिष्य बुलंदियों को छूकर, गुरु चरणों में शीश झुकाता है।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
1222 1222 1222 1222
यूँ तुम से दूर रहना होता, बर्दास्त नहीं हमसे,
कि तेरे हसरत-ए-दीद में बिछाई आँखें है कबसे।
धुन:-कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है(डॉ. कुमार विश्वास जी की रचना)
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माँ देवकी ने जन्म दिया, माँ यशोदा का पुत्र कहलाए
एक हाथ में बंसी उसके, दूजे से मटकी फोड़ माखन चुराए
सबका प्यारा नटखट लाला, मैया यशोदा को बड़ा सताए
राधा को जलाने शरारती कान्हा, गोपियों संग रास लीला रचाए
रसिया कान्हा रक्षक बन, सभा में द्रोपदी की लाज बचाए
हर बच्चे को समझाए कृष्ण ज्ञान, तभी जन्माष्टमी सफल हो जाए।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
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आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।🇮🇳
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भारत की शान है तिरंगा
हमारा मान है तिरंगा
जवान की आन-बान है तिरंगा
दुश्मनों का बुरा अंजाम है तिरंगा
भारत की आवाम की पहचान है तिरंगा
भारतीयों का अरमान है लहराता तिरंगा
जीत का एलान है तिरंगा
किसान की जान है तिरंगा
हर एक इंसान का चारों धाम है तिरंगा
जिसके आगे मस्तक ऊंचा ऐसा चढ़ान है तिरंगा
तीन रंग से चमकता है हमारा तिरंगा
राष्ट्रीय गान में फहराए तिरंगा
भारत विकास का अभियान है तिरंगा
हिन्दुस्तान का अभिमान है तिरंगा
मेरे लिए मेरा ध्यान है तिरंगा
आज मेरी कविता का कलाम है तिरंगा
भारत की शान है तिरंगा
भारत की शान है तिरंगा।
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स्वरचित / सर्वाधिकार सुरक्षित
देश के आजाद होने के बाद संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 जुलाई 1947 को तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया था। हमारे देश की शान है तिरंगा झंडा।
आप सभी को तिरंगा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।🇮🇳
Image Credit: Google
https://youtube.com/shorts/FeS6fqw8Gfo?feature=share
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
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दुआ करो कि हर इंसान को समझ आए इंसानियत,
ऐ मौला! तेरे हर बंदे की ज़बाँ में आ जाए तहज़ीब।
अहल-ए-जहाँ में छाए प्यार, मोहब्बत की नजाकत,
एक बार फिर से कुदरत की प्रकृति बन जाए जन्नत।
दुआओं की हो इतनी असर कि बदल जाये किस्मत,
हर दुआ क़ुबूल हो…. जिसने दिल से की हो इबादत।
सबको ख़ुशी मिले और पूरी हो जाए हर नेक हसरत,
ए ख़ुदा! इस ईद में मिटा दे सबके बीच है जो नफ़रत।
या अल्लाह! कोई गुमराह न हो करदे तू ऐसी हिदायत,
नमाज़ अदा करें शिद्दत से…मुश्किलों से पाले निजात।
आप सभी को ईद मुबारक🌙🌠
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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शुक्रिया😊
इज़हार-ए-इश्क़ में कुछ क़समें झूठी सी उसने खाई थी,
यक़ीन नहीं आता, क्या मोहब्बत भी झूठी दिखाई थी?
सरेआम नीलाम कर दिए उसने मेरे हर एक ख़्वाब को,
जिसने मेरे दिन का चैन औ मेरी रातों की नींद चुराई थी।
जिसे समझ बैठी थी मैं आग़ाज़-ए-मोहब्बत हमारी,
दरअसल वो तो मिरे दर्द-ए-दिल की इब्तिदाई थी।
यूँ तो नज़रअंदाज़ कर गई मैं उसकी सारी गलतियां,
मगर क्या अच्छाई के पीछे भी छुपी उसकी बुराई थी!
अब कैसा गिला और क्या शिकायत करूँ उस से!
जब दोनों के मुक़द्दर में ही लिखी गई जुदाई थी।
उसकी इतनी बे-हयाई और बेवफ़ाई के बावज़ूद भी,
माफ़ कर दिया उसे, ये तो ‘ज़ोया’ की भलाई थी।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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शुक्रिया🙂
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8 quotes on 8th march for women. Check it out in the given link. Please like, share, comment, subscribe to my channel.
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मेरी ज़िंदगी में तुम हो तो सब है
तुझसे शुरू मेरी सहर औ शब है
सजदा-ए-इश्क़ में सर झुका दूँ
कि मेरे लिए तो तू ही मेरा रब है।
★★★★★★★★★★★★★★★
है एक छोटी सी आशा, ऊँचे आसमाँ में उड़ना है स्वछंद,
है यही एक अभिलाषा, कोई कतरे ना मेरे ख़्वाबों के पंख।
★★★★★★★★★★★★★★★
कदम से कदम मिला के प्रेम डगर पर चलना है
हाथों में हाथ डाल के इसे कभी ना छोड़ना है
सफ़र-ए-मोहब्बत में बिछे हो चाहे लाखों शूल
आए कितनी भी रुकावटे मंज़िल को हमें पाना है।
★★★★★★★★★★★★★★★
इस जहाँ की नज़रों में बेनाम सा हमारा रिश्ता है,
है ये तड़प कैसी! कैसा रूह के बीच वाबस्ता है!
हसरतें दम तोड़ रही हैं अब आहिस्ता आहिस्ता,
अवाम की फ़िक्र नहीं, तुझ से ही मेरा वास्ता है।
★★★★★★★★★★★★★★★
हिज्र-ए-यार में दिन काट लिए उसकी यादों के सहारे,
आरज़ू-ए-विसाल-ए-यार में हर रात ख़्वाबों में गुजारे।
★★★★★★★★★★★★★★★
उर्दू शब्दों के अर्थ:- शब = रात / वाबस्ता = संबंध / हिज़्र-ए-यार = यार की जुदाई / आरज़ू-ए-विसाल-ए-यार = यार से मिलन की उम्मीद
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित / सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
आज फ़िर से भारतीय नृत्य मंच पर छा गया,
आज फ़िर से भारतीय संगीत हर कोई गा रहा।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
कला के क्षेत्र में भारतीय कला की है बोलबाला,
आज झांसी की रानी बन गई हैं हर भारतीय बाला।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
आज फ़िर से विदेशों में भारत देश आगे आ गया,
नासा में भारत का वैज्ञानिक आज सफलता पा गया।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
आज फ़िर से आयुर्वेद विदेशियों ने भी है अपनाया,
सिर्फ़ भारत में नहीं पूरे विश्व ने योग दिवस है मनाया।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
आज फ़िर से संस्कृत को अभ्यासक्रम ने है अपनाया,
देखो ओलंपिक में भारत की हॉकी टीम का दबदबा है छाया।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
एक दिन ऐसा आएगा जब भारत फ़िर से इतिहास बनाएगा,
तब सिर्फ़ दो दिन नहीं पूरा साल भारत जश्न मनाएगा।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
इन्डिया फ़िर से भारत बन गया।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
🇮🇳जय हिन्द जय भारत🇮🇳
ख़ुशी, ग़म, प्रेम, धोखे के टुकड़े मिलाकर,
बुन ली है मैंने पुरानी यादों की चादर।
सुराख़ से सर्द हवा झाँकती, मैली, फटी सी,
फिर भी गर्माहट देती पुरानी यादों की चादर।
जब सितम ढाए तेज़ धूप और गर्म हवा,
अंगारों सी तपती जमीं पर बनती मेरा बिस्तर।
कभी सताए बुरे ख़्वाब, हो तन्हाई महसूस,
पुरानी यादों की चादर ओढ़ लेती हूँ लपेटकर।
ख़ामोशी से जब बहता है अश्कों का सैलाब,
बन जाती माँ का आँचल पुरानी यादों की चादर।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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धन्यवाद
सुनहरी लहराती ये ज़ुल्फ़ें तिरी और ये शबाब,
कोमल नाज़ुक बदन तिरा जैसे महकता गुलाब।
बैठ गया तू सामने तो साक़ी की क्या ज़रूरत,
सुर्ख़ थरथराते ये लब तिरे जैसे अंगूरी शराब।
सहर में जब तू लेता अंगड़ाई ओ मिरे सनम,
तुझे चूमने फ़लक से उतर आता है आफ़ताब।
रौशन कर दे अमावस की काली अँधेरी रात भी,
मिरा हसीं माशूक़ जब रुख़ से उठाता है हिजाब।
तारीफ़-ए-हुस्न लिखने को बेताब है मेरी कलम,
ग़ज़ल क्या! ‘ज़ोया’ तुझ पे लिख दूँ पूरी किताब।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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शुक्रिया
तेरी ज़ुल्फ़ तले राहत देती हैं कुछ शाम,
तन्हाई में प्यास बुझाते तेरे यादों के जाम।
तेरी झुकी आँखों से फैला गहरा काजल,
लिख देता है मेरे दिल पर इश्क़ का पैगाम।
अंदाज़-ए-गुफ़्तगू तेरा दिल पर करता वार,
जब तूम भेजती हो यूँ इशारों से सलाम।
छूती है जब तेरे मीठे लबों से चाय,
दूर कर देती है मेरी दिन भर की थकान।
शाम-ओ-सहर दिल के कोरे काग़ज़ पर,
लिखता हूँ बस तेरा ही इक नाम।
चला दे गर मेरे दिल पर तू हुकूमत,
ये नाचीज़ बन जाए ताउम्र तेरा ग़ुलाम।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
शुक्रिया
चल इस दुनिया से दूर कहीं हम दोनों चले जाते हैं,
नदी से मोहब्बत और फल से मीठा रस लाते हैं।
आसमाँ को चादर और जमीं को बिछौना बनाते हैं,
सूरज की रोशनी और ठंडी हवा से सुकून पाते हैं।
फूलों से खुशबू और चाँद से चाँदनी चुरा लाते हैं,
चलो उस जन्नत में जाकर आशियाना बनाते हैं।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
शुक्रिया
कुछ डायरी के पन्ने भरेंगे इस साल में
पिछले बरस कई कोरे कागज़ छूट गए थे।
अब के बरस दिल के जज़्बात को बयां करना है कलम से
पिछले साल तो स्याही ही ख़त्म थी कलम में।
नये साल में कुछ नये दोस्त बन गए हैं
तो पिछले बरस के दोस्तों से कभी कभी बातें होती है।
कुछ दर्द चिल्ला उठे थे पिछले बरस में
अबके साल खुशियों की कविताएँ गाएंगे।
बहुत कुछ अधूरा रह गया पिछले साल में
बहुत ख्वाहिशें लेके दाखिल हुए हैं इस साल में।
बुरे लम्हे की कड़वी यादों को दफन कर दी है बंजर जमीं में
उन खूबसूरत यादों को जमा कर आए हैं बैंक के खाते में।
पिछले बरस में अब मुड़कर मत देखो
चल पड़ो आगे नया साल सब को मुबारक हो।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
Happy New Year💝🎉
Copyright © 2020 Jalpa lalani ‘Zoya’
ढूँढने उसको भटके, हर मानव दरबदर,
कभी झाँके धरा कभी ताके ऊँचा अम्बर।
कभी तलाशें संसार में कभी पूजे पत्थर,
गहराई में जाकर, कभी नापे है समंदर।
कोई कहे संगीत में बसा कोई कहे स्वर,
खोजे उसे, है जो निराकार है जो नश्वर।
सोचे मानुष, तू कैसा होगा रे है मेरे ईश्वर!
पूछे मानव, तू कैसा होगा रे है मेरे ईश्वर?
है वो शून्य में, उससे ही हुआ है विस्तार,
है वो कण कण में, किया है उसने प्रसार।
करे आत्मा प्रदीप्त, हरे मन का अंधकार,
वो परमपिता कराए सत्य से साक्षात्कार।
हर जीव पर बस उसका ही है अधिकार,
जीवन नैया को कराता है भवसागर पार।
सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान है सब में साकार,
है कितने रूप उसके, महिमा उसकी अपार।
अंतरतम से हर एक क्षण उसे स्मरण कर,
है तेरे आसपास ही कही वह प्रभु परमेश्वर।
न आदि न अंत उसका, है वो आत्मा अमर,
ध्यान जो करे निरंतर, पाले पूर्ण रूप ईश्वर।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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धन्यवाद।
बेशक अकेले चलना मुश्किल हो सकता है
लेकिन इस भीड़ में साथ चलने वाला है कौन?
बेशक सच बोलना मुश्किल हो सकता है
लेकिन झूठ बोलने से आगे निकल पाया है कौन?
बेशक दुःख में हंसना मुश्किल हो सकता है
लेकिन खुशी में खुलकर हँसने वाला है कौन?
बेशक दुश्मन से लड़ना मुश्किल हो सकता है
लेकिन लड़ाई में साथ देने वाला दोस्त है कौन?
बेशक किसी को खोना मुश्किल हो सकता है
लेकिन साथ होने के बावजूद यहाँ साथ है कौन?
बेशक सपने को साकार करना मुश्किल हो सकता है
लेकिन बिना सपनों के यहाँ सोता है कौन?
बेशक किसी को माफ करना मुश्किल हो सकता है
लेकिन बदला लेके यहाँ जीत पाया है कौन?
बेशक मंजिल तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है
लेकिन यहाँ आसानी से महान बन पाया है कौन?
बेशक जीवन की पहेली हल करना मुश्किल हो सकता है
लेकिन अंत से पहले इस पहेली को हल कर पाया है कौन?
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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धन्यवाद।
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BE. लेखन उत्सव 2020 में आप सबका स्वागत है 🙂
यह उत्सव 30 अक्टूबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। इसलिए आप आराम से अपनी entries भेज सकते हैं।
सबसे सर्व श्रेष्ट लेखक को मिलेगा 10,000 का रूपए नकद इनाम।
इसके इलावा 18 और नकद इनाम दिए जाएगें।
BE. लेखन उत्सव 2020 में भाग लेने के लिए अगर आपके मन में कोई भी सवाल हों तो मुझसे पूछिए। मैं ज़रूर जवाब दूंगी।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
Thank you!
As we all know that Google is releasing its core update in December. तो इस पर मैंने एक शायरी बनाई है। उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी।
गूगल ने अपने मूल नवीनतम करके जीवन और आसान कर दिया है
गूगल ने मानचित्र में संदेश विकल्प जोड़ने का अब एलान कर दिया है
दिल-ओ-दिमाग के अनसुलझे हर एक सवाल का देता है तुरंत जवाब
सब है इसके आधीन, लोगों ने गूगल को आधुनिक भगवान कर दिया है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
धन्यवाद।
आजकल कुछ अजीब सा मर्ज़ हुआ है,
मर्ज़ क्या, जैसे चुकाना कोई कर्ज़ हुआ है।
जाना हुआ मोहब्बत की दार-उल-शिफ़ा में,
बोला हक़ीम तुम्हें तो, दिल का दर्द हुआ है।
मर्ज़-ए-इश्क़ की महंगी पड़ी है तदबीर,
वस्ल-ए-यार का इलाज जो अर्ज़ हुआ है।
रूठा है बीमारदार इस मरीज-ए-इश्क़ का,
रूह-ए-जिस्म के पर्चे पर नाम दर्ज हुआ है।
ये साँसे तो चलती है सनम की खुशबू से,
क्या करें! मिरा महबूब ही खुदगर्ज हुआ है।
परवा-ए-उम्मीद-ओ-बीम न कर ‘ज़ोया’
इश्क़-ए-तबाही में अक्सर ही हर्ज हुआ है।
उर्दू शब्दों में अर्थ: मर्ज़=बीमारी/ दार-उल-शिफ़ा=अस्पताल/ तदबीर=उपाय/ वस्ल=मुलाक़ात/ बीमारदार=परिचारक /परवा-ए-उम्मीद-ओ-बीम=आशा की परवाह/ हर्ज=नुकशान
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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शुक्रिया।
ख़ुदा के इशारों को समझ, हैं सही रब के फ़ैसले
मुश्किलात में वही देता है, तुम्हें सब्र और हौसले
इबादत, सख़ावत करके, कुछ नेकियां करले बंदे
सजदे में सर झुकाकर, गुनाहों से तौबा तू कर ले।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
मुझे छोड़कर, बना दे तू अजनबी, अगर मुझसे नफ़रत है,
दूर मुझसे होकर, बढ़ती तेरी बेताबी, क्या ये तेरी उल्फ़त है!
★★★★★★★★★★★★★★★★★
बुझती नहीं मन की प्यास, नहीं होती तेरे इश्क़ की बरसात,
ढलती शब में करते उजास, तेरे साथ बिताए हरेक लम्हात।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
बहुत कुछ बदलता हैं वक़्त के साथ
बदलते रहते हैं हालात और ख़्यालात
इतने आहत हो जाते हैं बाज़ औक़ात
कि ता-उम्र सुलगते रहते हैं जज़्बात
जो बुझा पाए इस दिल की आग
नहीं होती कभी वो इश्क़ की बरसात।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
यूँ तो मेरा दिल बेशक़ तेरे दिए ज़ख्मों से मज़लूम है,
दिल चीर के देखना अब भी तेरी जगह मुस्तहकम है।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
उर्दू शब्दों के अर्थ: सख़ावत=दान / तौबा=माफ़ी / उल्फ़त=प्यार / शब=रात / लम्हात=वक़्त / बाज़-औक़ात= कभी कभी / मज़लूम=आहत / मुस्तहकम=अटल
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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शुक्रिया
एहसास-ए-मोहब्बत जन्नत का सुकून देता है
हाँ ! आईने में महबूब का अक्स ज़ुनून देता है
जो तोड़ जाए दिल अक्सर वही रहता है याद
मरहम जो लगाता है ज़ख़्म भी यक़ीनन देता है।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
जज़्बात की चाशनी में एतबार का मावा मिल जाए
परवाह की खुशबू के साथ थोड़ा एहतराम घुल जाए
रंग और मेवा डालकर बढ़ जाती है मिठास इश्क़ की
बड़ी ही लज़ीज फिर मोहब्बत की मिठाई बन जाए।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
ज़िंदगी के उस मोड़ पर अकेली मैं खड़ी थी
हौसले के औज़ार से मौत की जंग लड़ी थी
कुछ अजीब सी रोशनी को मैंने पास पाया था
बंदगी में ख़ुदा से जुड़ी मेरी रूह की कड़ी थी।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
ज़मीन-ए-दिल में दफ़न हैं अनसुनी शिकायतें
ग़म-ए-धूप से सूख गई हैं सारी अधूरी हसरतें
मुसलसल चल रही जहरीली मुसीबत की हवा
लगता है ख़ुदा भी नहीं सुन रहा है मेरी मिन्नतें।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
क़ौस-ए-क़ुज़ह की कलम से
कुछ यादें लिखी हैं फ़लक पे
मुसलसल बरसती हैं बारिश
अक्सर सर-ज़मीन-ए-दिल पे।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
उर्दू शब्दों के अर्थ: अक्स=परछाई / क़ौस-ए-क़ुज़ह=इंद्रधनुष / मुसलसल=लगातार
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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शुक्रिया
ग़म-ए-ज़िंदगी में जीने की चाहत होनी चाहिए,
तिजारत-ए-इश्क़ में प्यार की दौलत होनी चाहिए।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
माना ख़ार के बीच महकता गुलाब हो तुम,
बेशक ताउम्र पढ़ना चाहो वो किताब है हम।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
ख़्वाबों की बंद खिड़की खोल, वो सजा गया मेरी दुनिया,
हालात ने क्या दस्तक दी, उसने बदल दिया तौर तरीका।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
सच की पाठशाला में जब से इश्क़ है पढ़ लिया,
ख़ुदा-ए-पाक के नाम रूह पर इश्क़ लिख दिया।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★
बस जाए दिल-ओ-दिमाग में हर लम्हा,
भर जाए किताब-ए-ज़ीस्त का हर पन्ना।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
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उर्दू शब्दों के अर्थ: तिजारत=व्यापार/ ख़ार=कांटा/ किताब-ए-ज़ीस्त= ज़िंदगी की किताब
शुक्रिया
Copyright © 2020 Jalpa lalani ‘Zoya’
Thank you!💖
‘मेरी कविता’ उनवान पर आज हूँ लिखती मेरी कविता,
सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, मेरे जज़्बात बयां कर जाती मेरी कविता।
मेरी कविता में लिखा है मैंने ज़िंदगी का तज़ुर्बा,
सिर्फ पंक्तियां नहीं, एहसास महसूस कराती मेरी कविता।
मेरी कविता फ़क़त एक दास्ताँ नहीं, ख़ुलूस-ए-निहाँ हैं,
सिर्फ तसव्वुर नहीं, हरेक मर्ज़ की दवा देती मेरी कविता।
मेरी कविता सिर्फ दुनयावी खूबसूरती नहीं दिखाती,
क़ायनात से मोहब्बत, रहम करना सिखाती मेरी कविता।
सिर्फ लय, छंद, अलंकार नहीं, मेरी कविता बजती तरंग है,
माँ शारदे की आराधना से है आती मेरी कविता।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
Note: यह रचना प्रकाशित हो चुकी है और कॉपीराइट के अंतर्गत आती है।
शुक्रिया।
अश्कों को मेरे तेल समझ दीया जला दिया,
लहू को मेरे मरहम समझ ज़ख़्म पर लगा दिया।
बेइंतहा फिक्र करते थे उनकी शाम-ओ-सहर,
उसने हमारी परवाह का भी दाम लगा दिया।
इश्क़ में नहीं निभा सके वो वादा-ए-मोहब्बत,
और बेवफ़ा का इल्ज़ाम हम पर ही लगा दिया।
मोहब्बत करके दिल तोड़ गया वो मतलबी
फिर दोस्ती का नाम देकर एहसान जता दिया।
वो क्या समझेगा ‘ज़ोया’ तेरी ग़ज़ल, शायरी को,
कागज़ पर उतरे जज़्बात को अल्फ़ाज़ बता दिया।
© Jalpa lalani (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Note: इसकी कॉपी करना मना है।
शुक्रिया।
ख़ुदा की बंदगी करके पाले नूर-ए-इबादत
शब-ओ-सहर कर तू सलीक़े से तिलावत
सजदा करके बदल लें अपनी किस्मत बंदे
आख़िरत में साथ देती इबादत की ताक़त।
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक।🌙🌠
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया
सादर नमन पाठकों।🙏
आज दशहरा के पावन पर्व पर प्रस्तुत है मेरे द्वारा रचित दोहे।
आप सभी को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
इह बसत हैं सब रावण, ना खोजो इह राम।
पाप करत निस बित जाए, प्रात भजत प्रभु नाम।।
अंतर्मन बैठा रावण, दुष्ट का करो नाश।
हिय में नम्रता जो धरे, राम करत उहाँ वास।।
कोप, लोभ, दंभ, आलस, त्यजो सब यह काम।
रखो मुक्ति की आस, नित भजो राम नाम।।
पाप का सुख मिलत क्षणिक, अंत में खाए मात।
अघ-अनघ के युद्ध में, पुण्य विजय हो जात।।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
धन्यवाद।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब माँ ने कहा तेरे क़दम पड़ते ही
नये घर रूपी मिला हमें एक फल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब हर वक़्त पीछे घुमा करती थी
पकड़े माँ का आँचल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब माँ के साथ जाती थी
नदी किनारे लेने जल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब बापू की फटकार से मिलता था
गणित का हर हल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब बापू रेहते थे हर नियम में अटल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब बापू के घर पर न होने पे
किया करते थे उनकी नक़ल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब बहन के साथ छत से निहारती थी बादल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब सर्दी की रातों में ओढ़ लेती
थी बहन का कम्बल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब बहन के साथ झूम उठती थी
मैं भी पहने पायल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब भाई के पीछे-पीछे चल
पड़ती थी मैं भी पैदल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब भाई के साथ
मचाती थी उथल-पुथल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब बाहर चली जाती थी
पहनकर भाई की उल्टी चप्पल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब साथ बैठकर खाते थे दाल-चावल।
याद है मुझे आज भी वो पल
जब साथ बैठकर देखते थे दूरदर्शन
जैसे सज़ा हो एक मंडल।
याद है मुझे आज भी वो पल
प्यार भरी नींव से बनता है
मेरा परिवार मुक्कमल।
हाँ! याद है मुझे आज भी यह सारे पल
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Note: यह रचना पब्लिश हो चुकी है। यह रचना कॉपीराइट के अंतर्गत है।
धन्यवाद।
एक माली ने बोया है एक बीज मिट्टी में
एक तरफ़ एक बीज पनप रहा है माँ की गोद में।
दिन-रात की मेहनत से बीज डाली बन जाता है
माँ की कोख़ में पोषित होकर वह बीज भी बच्चे का स्वरूप लेता है।
एक दिन सूरज की किरणों से डाली पर कली निकल आती है
एक प्यार की निशानी पिता की परछाई से एक बच्ची जन्म लेती है।
कली खिलते ही पहली बार रंग-बिरंगी दुनिया देखती है
नन्ही सी बच्ची मुस्काते हुए माँ की गोद में खिलखिलाती है।
खुश्बू कली की फैल कर पूरी बगिया महकाती हैं
मंद-मंद किलकारियों से घर की दीवारें गूंज आती हैं।
देखते ही देखते एक दिन कली फूल बन जाती है
नन्ही सी बच्ची खेलकुद कर पढ़-लिख कर एक दिन शबाब कहलाती है।
फूल की सुंदरता को देख सब उसकी और खिंचे चले आते हैं
यौवन की खूबसूरती देख हर कोई आकर्षित हो जाते हैं।
मानव फूल को तोड़कर, कोमल पंखुड़िया मसल कर फेंक देता है
घर की प्यारी को उठाकर, सौंदर्य को अभिशाप में बदल देता है।
फूलों को बगिया में रहने दे उसकी जगह ईश्वर के चरणों में हैं
है मानव, गर लक्ष्मी इतनी प्यारी है तो हर नारी की जगह मंदिर में हैं।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
Note: यह रचना पब्लिश हो चुकी है। यह रचना कॉपीराइट के अंतर्गत है।
शुक्रिया।
हाँ! मैं ख़ुद से प्यार करती हूं…. बड़ी मुस्किलो लो के बाद अपने आपसे यह इज़हार करती हूं हाँ! मैं ख़ुद से प्यार करती हूं। ज़िंदगी ने दिए हैं ज़ख़्म कई तभी अपने आपसे प्यार करती हूं छोड़ दिया हैं तन्हा सभी ने अब तन्हाईयो में ख़ुद से बात करती हूं…. हाँ! मैं ख़ुद से […]
ख़ुद से प्यार
कलयुग के इस संसार में पल-पल इंसान रूप बदलते हैं
समंदर रूपी जीवन में पल-पल हालात रुख़ बदलते हैं
स्वार्थ के बने आशियाने में पल-पल बदलते रिश्ते हैं
हीरे भी तभी चमकते हैं जब बार-बार उसे घिसते हैं
आधुनिकता के बाजार में पल-पल ख़रीददार बदलते हैं
कहानी में भी तभी मोड़ आता है जब किरदार बदलते हैं
वक़्त कहाँ रुकता है पल-पल करके साल भी बदलते हैं
ठहरा कौन है यहाँ चलने वाले हर चाल भी बदलते हैं
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
क्या श्रद्धांजलि दूँ उनको क्या लिखूं उनके बारे में
ख़ुद दो हाथ से लिखते थे क्या मैं लिखूं उनके बारे में
सत्य, अहिंसा, प्रेम, धर्म, जैसे लगाते थे नारे
जिसके आगे तोप, बारूद, और गोरे भी हारे
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो
सीख सीखाते बापू के तीन बंदर
आज अन्याय देखकर अँधे बन बैठे हैं सब लोग
मदद के लिए पुकारती आवाज़ को अनसुना करते हैं लोग
बात बात पर अशिष्ट भाषा का प्रयोग करते हैं लोग
क्या यही सीख ली इन बंदर से?
पूरा जीवन बिता दिया हमें आज़ाद करने में
आज वही आज़ादी का फ़ायदा उठा रहे हैं लोग
मिटाया उन्होंने ऊँच-नीच के भेदभाव को
बढ़ाया हमने ग़रीब-तवंगर के भेदभाव को
स्वदेशी उत्पादन को अपनाया ख़ुद चरखा चलाकर
भारतीय उद्योग को क्या उपहार देंगे हम विदेशी अपनाकर!
साफ रखें सब घर, गली, आँगन, उद्यान
सच में यही है स्वच्छ भारत अभियान
नहीं हराया जाता है किसी को हिंसा से
जीता जा सकता है किसी को अहिंसा से
आज़ादी के लिए कई बार गए है जेल किया है आमरण अनसन
आज एक दिन के व्रत पे भी नहीं कर पा रहे हैं अनसन!
तो आओ अपनाएं गांधी के विचारों को आज
शायद यही दी जाए उनको श्रद्धांजलि आज।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया
दीदार-ए-हसरत में नज़रें जमाए बैठे है
निगाह-ए-जमाल की तलब लगाए बैठे है
ख़ार चुभ न जाए कहीं पाक कदमों में
कि राह में दफ़्तर-ए-गुल बिछाए बैठे है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
पलकों के रथ पे सवार होकर, सपनों की बारात आ गई
सितारों की चुनरी ओढ़कर, रात दुल्हन सी सज गई
चाँदनी से सजा आसमाँ का मंडप, हवा बजाये शहनाई
बाराती बन बादल झूम रहे, खुशियों की बौछार है छाई
आफ़ताब से सेहरा हटाकर, उम्मीद की किरण है आई
सुबह का हुआ स्वागत, रात की हो गई फिर बिदाई।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
शाम ढले तेरी यादों के उजाले में चली जाती हूँ अक्सर,
शब-ए-हिज़्र में फ़लक के चाँद में तुम्हें पाती हूँ मयस्सर।
शाम-ए-ग़म में बढ़ जाता है इस क़दर तन्हाई का तिमिर,
धुएँ से उभरती तस्वीर तेरी, प्रीत का दिया करती हूँ मुनव्वर।
माज़ी में तेरे साथ बिताए खूबसूरत लम्हात हमें याद आते हैं,
ख़्यालों में आगोश में आकर, तेरी खुश्बू साँसों में लेती हूँ भर।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
दिल के कागज़ पे एक ख़त उनके नाम लिख रही हूँ
बेशक़ बग़ैर पते का है वो मुक़ाम, जहाँ भेज रही हूँ
मन में उठते हर सवाल का उससे जवाब मांग रही हूँ
धोखे से मिले ज़ख्मों का, उससे मरहम मंगा रही हूँ
न समझे लफ़्ज़ों की बोली, सिर्फ एहसास जता रही हूँ
सारे रिश्ते नाते तोड़ के उससे गहरा रिश्ता बना रही हूँ
पहुँच जाए ख़त दर-ए-मक़सूद पे, यही राह देख रही हूँ
समा जाऊँ नूर-ए-खुदा में, ख़ुद को काबिल बना रही हूँ।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
मेरे दिल में दफ़न जज़्बात कभी उभर जाते हैं,
ये कागज़ कलम वो एहसास बयाँ कर जाते हैं।
मन के भंडार में छुपे ख़यालात,भावों में पिरोकर,
अनकहे अल्फ़ाज़ को कागज़ पर उतार जाते हैं।
रच जाती है पूरी किताब दास्ताँ-ए-ज़िंदगी की,
कि जज़्बात की ग़ज़ल से हर सफ़ा भर जाते हैं।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया।
तपती धूप में है घने दरख़्त सा बड़ों का साया
ग़म के अँधेरे में हैं ख़ुशियों सा जगमगता दिया
सफ़र-ए-ज़ीस्त में हरदम उसे साथ खड़े हैं पाया
ख़्वाहिश हुई मुकम्मल दुआ में जब हाथ उठाया
सिरातल मुस्तक़ीम का रास्ता उसने है दिखाया
ख़ुशनसीब हैं वो जिसके सर पर है बड़ों की छाया।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
Hello, friends
Mujhe aap sab ki madad ki aavshyakta hain. YouTube me jaakar mere is video me likes aur comments karen. Aur jitna ho sake mere video ko share karen.
Thank you in advance.😊🙏
© Jalpa lalani ‘Zoya’
किताब-ए-ज़ीस्त के असरार खुल रहे हैं,
हर पन्ने पर कहानी के किरदार बदल रहे हैं।
खुशी की स्याही से लिखी हैं कुछ इबारत,
तो कोई कागज़ गम-ए-हयात से जल रहे हैं।
पीले ज़र्द पन्ने की कोने में पड़ी हैं सिसकती,
राज़ बेपर्दा होते ही हर इक सफ़ा मसल रहे हैं।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
प्रेम रूपी राखी जुड़ी जज़्बात के नाजुक धागे से
रेशमी रिश्ते की राखी गुँथी है रक्षा के वचन से
स्नेह के बंधन में बांधी गई एक अटूट विश्वास से
खट्टी मीठी नोकझोंक से बनी सुनहरे प्यारे रंगों से
बड़े इंतज़ार के बाद घर खुशियां लेके बहन आई
कुमकुम, चावल, राखी, मिठाई से थाली सजाई
सूनी थी जो,आज चाँद सी चमके भाई की कलाई
हरख भाई का दिखे, बहन कुमकुम तिलक लगाई
प्यारी बहना को आज भाई ने दिया अनमोल उपहार
दुनिया में सबसे अनोखा है भाई-बहन का प्यार
माँ जैसे करती दुलार, बेटी के बिना अधूरा परिवार
जग के सारे पर्व में सबसे न्यारा है राखी का त्यौहार।
🌸आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ🌸
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
ईद के मुक्कदस मौके पर, आज तो आकर मिल जाओ
है दरमियाँ गिले-शिकवे, आज गले लगाकर भूल जाओ
क़ुबूल करके यह रिश्ता, ख़ुदा ने प्यार से इसे है नवाज़ा
रिश्ते में है गलतफहमी की दरार, आज इसे सिल जाओ।
आप सभी को ईद मुबारक🌙🌠
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
बहुत कुछ बाकी है तेरे मेरे दरमियाँ,
तेरी याद में अभी आँखें भर आती है।
मोहब्बत से ऊँचा नहीं यह आसमाँ,
पर तूने हर दम इसे जमीं से नापी है।
सफ़र-ए-इश्क़ की हुई है शुरुआत,
अभी तो ये सिर्फ़ प्रेम की झांकी है।
बहुत कुछ बाकी है तेरे मेरे दरमियाँ
दूरीमें नज़दीकी का एहसास काफ़ी है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
हुआ है मलाल अब ख़ुद से नज़रें चुराने लगे वो,
करके गुस्ताखी-ए-जुर्म अवाम से मुँह छुपाने लगे वो।
बिना सबूत सच्चाई साबित नहीं होती अदालत में,
औरों पर इल्ज़ाम लगाके गुनाह पर परदा गिराने लगे वो।
झूठ की चीनी मिलाके सच का कड़वा शर्बत पिया नहीं गया,
आबेहयात में जहर घोलकर सबको पिलाने लगे वो।
अल्लाह के दर पे सिर झुकाकर सजदे में करते है तौबा,
होकर बेख़बर ख़ुदा की नज़रों से राज़ दफनाने लगे वो।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
आज की बारिश को महसूस कर के कुछ ज़हन में
आया है जो कागज़ पर उतर आया है।
उफ्फ़ ! क्या ढाया है कुदरत का क़हर
जैसे बह रहा है सड़को पर समंदर।
जिस बारिश से आती है चेहरे पर ख़ुशी
आज वह बारिश क्यों हुई है गमगीन।
दौड़ आते थे बच्चे बारिश में खेलने बाहर
आज वह डर के बैठे हैं घर के भीतर।
दुआ करते थे पहली बारिश होने की
आज दुआ कर रहे हैं उसे रोकने की।
यह गरजता हुआ बादल जैसे रोने की सिसकिया
यह चमकती हुई बिजली जैसे आँखों की झपकियां।
क्या गलती हो गई हम इन्सान से ऐ ख़ुदा
क्यों आज बादल को पड़ रहा है रोना।
अब नही सुनी जाती बादल की यह सिसकिया
साथ मे सुनाई देती हैं किसानों की बरबादियाँ।
संभल जा ऐ इन्सान, है इतनी सी गुज़ारिश
सर झुका दे कुदरत के आगे तभी रुकेगी यह बारिश।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
कुछ ना करने से बेहतर है थोड़ी सी कोशिश की जाए
धर्म निभाते तंगदस्त को थोड़ी सी बख़्शिश दी जाए
ज़्यादा पाने की चाह में जो पास है उसे ना खो देना
आँख बंद करके सही ख़ुद से कुछ ख़्वाहिश की जाए
थोड़ी ज़्यादा मशक्कत करने से मुक़ाम ज़रूर पायेगा
नई शुरुआत से पहले बड़ो की दुआ, आशीष ली जाए।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
यकीन है खुदा पर तभी इम्तिहान ले रहा है मेरा
दर्द दे कर रुलाता है, फ़िर हँसाता भी है
बार बार गिराता है, फ़िर उठाता भी है
मैं भी देखती हूँ कि दर्द जीतता है या यकीन मेरा।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
लोग हमे पागल समझते है, हमारी हँसी को देखकर
अब उन्हें क्या पता इस हँसी के पीछे रखते है कितने दर्द छिपाकर।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
जिन आँखों में गहरा झील बसता था
जिंदगी ने है इतना रुलाया
सूख गया है ग़म-ए-समंदर
अब तो अश्क़ भी नहीं गिरता।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
उसने कहा दवाई ले लो ताकि दिल का दर्द कम हो
अब उन्हें कैसे कहे कि दिल के हक़ीम ही तुम हो।
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शेरो-शायरी लिखना हमें कहा आता है
ये तो दिल के एहसास है जो उभर आते है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
Jealousy doesn’t burn a human being but it burns a human soul.
★★★★★★★★★★★★★★★
Your courage brings you out of your dark days.
★★★★★★★★★★★★★★★
I admire the courage of those who come out of every storm of life despite physical defect.
★★★★★★★★★★★★★★★
Being romantic is not just a physical love, but it is about caring and making your partner happy.
★★★★★★★★★★★★★★★
The aroma of books still reminds me of my childhood.
© Jalpa lalani ‘Zoya’
Thanks for reading!
हाँ! मैं एक पिता हूँ, बाहर से दिखता बहुत सख़्त हूँ
मगर बच्चों की आँख में आँसू देखकर टूट जाता हूँ
हाँ! फ़ोन पर ज़्यादा किसीसे बात नहीं करता हूँ
मगर दिल में सबके लिए एहसास मैं भी रखता हूँ
सबकी मन मर्जी करने नहीं देता, टोकता बहुत हूँ
मगर बच्चों की बेहतरी के लिए ही ये सब करता हूँ
हाँ! जब याद आए बेटी की तो जताता नहीं हूँ
मगर कभी रात के अँधेरे में मैं अकेला रो लेता हूँ
सब कहते है मैं सिर्फ़ अपने लिए ये सब करता हूँ
मगर ज़िम्मेदारियों से कभी मैं भी तो थक जाता हूँ
मेरे जाने के बाद कभी मेरी कमी खलने नहीं देता हूँ
ये एहसान नहीं है, फ़र्ज़ है मेरा क्योंकि मैं एक पिता हूँ।
~Jalpa lalani ‘Zoya’
Be positive….Release thy negative emotions and sorrows of your life. Being depressed can lead to depression. Try to forget the bad moments. Repeat the good moments in your life. So that you always feel happy❤️
वक़्त गुज़रता गया और हमारे बीच दुरियाँ भी बढ़ती गई
दिल का ज़ख़्म गहरा हुआ और यादें नासूर सी बनती गई
तू हँसते हुए छोड़ गया मेरी साँसें तिनका तिनका बिखर रही
तेरी बातों से दिल बिलख उठा और धड़कन भी रुक सी गई
ख़ुशी का वादा था किया और तोहफ़े में दे गया तू तन्हाई
बदलते मौसम के साथ तू बदल गया मैं वही पर ठहरी रह गई।
~ Jalpa lalani ‘Zoya’
चाँद की मद्धम रोशनी तले बाहों के बिस्तर में पूरी रात गुजारी है
प्यार भरे लम्स से कोमल कली खिलकर खूबसूरत फूल बन गई है
दो जिस्म के साथ रूह के मिलन की सितारें देने आए गवाही है
दोनों बहक कर इश्क़ में पिघल रहे इस नशे में रात हुई रंगीन है
मिलन की प्यास है अधुरी, सूरज की किरणें धरा को चूमने वाली है
दिल में अजीब सी बेताबी है पर तुम जाओ प्रिये सुबह होने वाली है।
ज़िंदगी की जंग से हार कर यूँ मुँह मोड़कर तुम क्यों जा रहे हो?
अँधेरे में जाकर अपने ही अक्स को ख़ुद से क्यों छुपा रहे हो?
दुनिया की भीड़ से दूर सारे बंधन तोड़कर अकेले कहाँ जा रहे हो?
ख़ुद की आँखे बंद करके अपने आपसे ही क्यों नज़रें चुरा रहे हो?
तन्हाई छोड़ इस जहाँ की महफ़िल में तुम अपनी पहचान बनाओ
अँधेरे रास्ते की वीरानगी में उम्मीद की लौ से तुम रोशनी जलाओ
आँखों में है जो अधूरे ख़्वाब मुकम्मल करके उसे हकीकत बनालो
अपनो के साथ मिलकर बेरंग ज़िंदगी में खुशियों के रंग तुम भरलो।
~Jalpa ‘Zoya’
एक निर्दोष जीव भटक गया था रास्ता, जंगल के पास दिखा उसे एक गाँव
इधर-उधर भटक रहा भूखा-प्यासा, इंसानो को देख जगी उसे एक आशा
मन मे सोचा इंसान में होती है मानवता, क्या पता था इंसान के रुप में था दरिंदा
क्यों खिलाया भूखे जीव को विस्फोटक अनानास, कहाँ गई थी इंसान की इंसानियत
पेट की आग तो न बुझी उसकी, पर उस विस्फोटक ने हथनी का मुंह दिया जला
अपनी फ़िक्र नहीं थी उस माँ को, फ़िक्र थी उसे जो पेट में पल रहा था एक बच्चा
हो गई थी ज़ख्मी फिर भी थी उसमें दया नहीं किया उसके हत्यारों का कोई नुकसान
उन हैवानों को जरा भी रहम नहीं आया, जो दो बेजुबानों की बेरहमी से ले ली जान
सिर्फ भूखी थी माँ और आख़िर क्या कुसूर था उसका जो अभी तक जन्मा नहीं था
ऐसे क्रूर कृत्य से किसीकी भी रूह काँप जाए, पर वो हत्यारे तो हुए भी नहीं शर्मसार
धीरे-धीरे विनाश हो रहा है सृष्टि का, इंसान क्यों नहीं समझ रहे है ईश्वर का इशारा
ऐ ईश्वर! दे मुझे एक जवाब, ऐसे हैवानों के कृत्यों की निर्दोष जीव क्यों भुगतें सजा?
~Jalpa ‘Zoya’
We are all seeing that there is a lot of change in the environment nowadays. The reason for this is ourselves. We should be more conscious of this and protect the environment. No one can do this alone, we have to do it together and make others aware too and join together. We are also realizing that we are getting natural disasters as a result of playing with nature. God is also angry with us. Now we have to improve the environment together.
~Jalpa ‘Zoya’
हुआ एक और प्रकृति का कहर, कैसी है ये कुदरत की नाराज़गी
ख़त्म कहाँ हुई कोरोना महामारी, अम्फान तूफ़ान ने मचाई तबाही
बख़्श दे हम सभी को मौला, करते है साथ मिलकर यहीं विनती
भुगत रहे हैं हानि, अब शांत कर इन तूफानों की अफ़रा-तफ़री
ऐ ख़ुदा सब सुरक्षित रहें कर दे ये इनायत, सुन ले ये दुआ हमारी
आपदा की इस मुश्किल घड़ी में, बस साथ है एक रहमत तुम्हारी।
~Jalpa
ख़ुद से ख़ुद का जोड़ लिया है राब्ता
इस फ़रेबी दुनिया में अब नहीं आता किसी पर भरोषा।
★★★★★★★★★★★★★★
सब को दर्द बाँटते बाँटते
हमदर्द तो नहीं मिला
हर बार ज़ख्म ताज़ा हुआँ
अब मरहम भी नहीं मिलता।
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कमरा भी इतना महक ने लगा कि
इतनी खुश्बू ही उनकी बातों में थी।
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आख़िर किस हद तक रिश्ते में झुका जाए
यह तराजू है जिंदगी का
गर दोनो और से समान रखा जाए
तो घाटा नहीं होगा किसिका।
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क्यूँ शिकायत करते हो कि तन्हा हूँ दिल से
यहाँ हर कोई अकेला है भरी महफ़िल में।
★★★★★★★★★★★★★★★
आ गया उनपे हमें इतना एतबार
एक दिन कर दिया उसने इज़हार
हो गया था हमें भी प्यार
कर बैठे हम भी इक़रार।
~Jalpa
Technology is very useful in communication and sharing.
★★★★★★★★★★★★★★★
The technology is useful or dangerous it depends on the users.
★★★★★★★★★★★★★★★
Limited use of technology is helpful and excessive use is distracting.
कहते है हर एक के जीवन में कोई न कोई प्रेरणा बनकर आता है
पिता, माँ, भाई, बहन, दोस्त, सेलेब्रिटी, या फ़िर कोई अजनबी
वैसे ही मेरे जीवन में मेरी प्रेरणा बनी मेरी माँ।
बचपन से देखती आ रही हूँ तब समझ थोड़ी कम थी
आज समझ में आया माँ के अंदर कितनी ख़ासियत थी।
माँ की दिनचर्या सुबह के पहले पहर से शुरू हो जाती
सर्दी हो या गर्मी पहले घर का आँगन साफ़ करती।
नाहकर प्रभु का ध्यान धरती, घर मे भी साड़ी पहनती
उनकी वो बिंदी, वो चूड़िया, आँखों का वो सूरमा
हमारे उठने तक तो चाय-नास्ता भी बन जाता।
मेरे भी थे अरमान माँ के जैसा पहनावा मैं भी पहनूँगी
बड़ी हो कर कुछ अवसर पर भी बड़ी जहमत से सब संभाल पाती।
कैसे कर लेती थी माँ ये सब पहनकर भी घर का सारा काम
सबकी जरूरते पहले पूरी करती अपना ख़ुद का कहा था उसको ध्यान।
एक तो घर का काम, फ़िर बाहर पानी भरने जाना
क्या इतना कम था कि मंदिर में भी करती थी समाज सेवा।
कहाँ से मिलता था इतना समय, आज सब सुख-सुविधा
के बावजूद भी हम कहते है समय कहाँ है हमारे पास।
हमें पढ़ाना-लिखाना, तैयार करके पाठशाला भेजना
सब की पसंद का खाना बनाना
जितना लिखूं उतना कम पड जाए
शायद माँ पर लिखने के लिए दुनिया के सारे कागज़ भी कम पड़ जाए।
खाना पकाना सिखाती, तमीज़ से बात करना सिखाती
घर के सारे काम से लेकर बाहर की दुनिया का ज्ञान भी देती।
रात को बिना भूले दूध देती कभी मना करे तो डांट कर भी पिलाती
पूरे दिन का हाल बतियाती, बड़े प्यार से साथ में सुलाती।
सब के सोने के बाद आख़िर में वो सोती सर्दी में आधी
रात में अपना कम्बल भी हम बच्चों को ओढ़ाती।
फ़िर भी सुबह पहेले उठ जाती, आज तक नहीं पूछा,
आज पूछती हूँ ऐ माँ ! क्या तुम थक नहीं जाती?
बताओ ना माँ, क्या तुम थक नहीं जाती?
हमें साफ सुथरा रखना, खाना खिलाना, दूध देना
पढ़ाना, हमारे साथ खेलना नित्यक्रम था उनका।
पता नही क्या बरकत है उनके हाथों में
थोड़े में भी कितना चलाती फ़िर भी कभी पेट रहा न हमारा खाली।
इतनी उम्र में भी आज है वो चुस्त-दुरुस्त आज भी वो कितना काम कर लेती
फ़िर भी टी. वी. पर अपनी पसंदीदा सीरियल छूट ने नहीं देती।
मुझे कहती है तू अकेली कितना काम करेगी
इतनी छोटी उम्र में भी माँ जितना मैं नही कर पाती।
माँ का कोई मोल नहीं ,माँ तो अनमोल है
आज मैं जो भी हुँ, जो भी मुझे आता है
मेरी माँ के दिये संस्कार है, मेरी माँ का दिया प्यार है।
सब कहते है मैं माँ की परछाईं हूँ
पर माँ मैं तेरे तोले कभी ना आ पाऊँगी
मेरी माँ मेरी प्रेरणा है, मेरी माँ मेरे लिये भगवान है।
बस इतना ही कहना चाहूँगी
अब अपने आँसुओं को रोक ना पाऊँगी
इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी….
इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी….
~Jalpa
You need patience and hard work to achieve your goal. Stay away whatever negativity comes to achieve your goal.
★★★★★★★★★★★★★★★
Let’s raise awareness. The more we know, the more we reduce risk.
Let’s make the world cancer free,
Let’s make history.
★★★★★★★★★★★★★★★
Don’t worry about fear
It’s not severe
Turn fear into more power
Love fear, make it dear.
★★★★★★★★★★★★★★★
Prevent bad habit and love your good habit more than bad habit, bad habit will go itself.
★★★★★★★★★★★★★★★
Life is also like a movie, but in the movie there is a happy ending, but life’s end is uncertain.
~Jalpa
“खुशी”
मुद्दतों से देख रहे थे राह तेरी
तू आयी भी तो तब
जब सफ़र ख़त्म होने को है।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
गलत सोच थी मेरी
दुःख की इमारत मेरी है सबसे बड़ी
जब किया मैंने सफ़र
हर इमारत बड़ी निकली।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
ज़्यादा नही बदला मेरा बचपन
पहले सब रोकते थे
और हम खेलते थे
अब सब खेल रहे है हमसे
और हम रुके हुए से हैं।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
प्यार हुआ पर पूरा ना हुआ
ख़्वाब देखा पर ज़रा देर से देखा
मुलाक़ातें हुई मगर अधूरी रही
जुदा हुए मगर एहसास कम ना हुआ।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
बाहों में उनके लेते ही हम तो पिघल से गये
पता ही नही चला कब हम उनके इतने क़रीब आ गए।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
अक्सर हमारे पैरों में कांटा चुभना भी गवारा नही था उनको
अब दिल के ज़ख़्म का भी एहसास नहीं उनको।
~Jalpa
You are that colour
Which glows my face.
You are that colour
Which colours my lips.
You are that colour
Which brightens my eyes.
You are that colour
Which beats in my heart.
You are that colour
Which running in my veins.
You are that colour
Which colours my dreams.
You are that colour
Which makes my life colourful.
© Jalpa lalani ‘Zoya’
Thanks for reading!
As we all know that the burden on our earth is increasing. And nature is going towards destruction. All the natural resources of the earth are slowly disappearing. We should pay more attention to it. So today on Earth Day I have written a letter to our mother earth.
Dear, Mother Earth
Every New Year everyone makes a resolution. This year we have all taken a lesson of playing with nature.
Now we all take a pledge this year
that we will protect you.
So far, we humans regret whatever we did to you.
please, mother earth forgive all of us.
~Jalpa
सुनो मानव! कुदरत ने पावन धरती सभी जीवों के लिए दी है
धरती पर पाप बहुत बढ़ गए है, ये उसका नतीजा आज मिला है
प्रकृति से जो खिलवाड़ किया है, अब कुदरत नाराज़ हुआ है
बर्बादी अभी कम ही हुई है, ईश्वर ने सबको किया आगाह है
अहम अपना छोड़ो मानव, प्रकृति की नाराज़गी अभी जारी है
अभी भी वक़्त है संभल जाओ, वरना अब हमारी बारी आनी है
इंसान भूल गया इंसानियत है, जानवरों ने इंसानियत सिख ली है
प्रलय आ रहा किस्तों में है, कही प्रकृति अपना आँचल खींच न ले।
~Jalpa
तुम्हारी यादों का मीठा अहसास
तेज़ कर जाता है मेरी धड़कन
तुमसे मिलन की वो झूठी आस
बहुत बेचैन कर जाती है मेरा मन
तुम्हारी आग़ोश में आने की प्यास
तड़प उठता है मेरा कोमल बदन
तुम बिन कटती नहीं ये अँधेरी रात
देखूँ मैं सिर्फ ख़्वाब होकर मन मगन
तुम्हारी प्यार भरी वो हरएक बात
आज भी भिगा जाती है मेरे नयन।
~Jalpa
God poem
God is my father.
God is my mother.
God is my brother.
God is my sister.
God is my friend.
God is with me.
God talks with me.
God walks with me.
God is always there
When I was afraid.
God is in the stars.
God is in the moon.
In the sun, in the sky.
God is not separate from us.
God exists every where.
~Jalpa
This structure is made by love bricks
Warmth sand and cement of affections
The walls laugh with happiness
The decor shows brightness
The doors teach positivity
The windows look hopefully
Concern and protection of parents
fight and affection of siblings
Share moments together
happiness or sorrows.
~Jalpa
रहना है अनुशासन में, करना है समस्या का निवारण
सरकार कर रही निदर्शन, रोक दो सब कार्यक्रम
घर मे रहना ही है अतिउत्तम, साथ में करो मनोरंजन
ख़ुद को करो आइसोलेशन, बस करो थोड़े दिन परिवर्तन
जो भी सेवा में है जुड़े, उन सभी को मेरा अभिनंदन
अपनाए इसे हर मानव, मत करो इसमें ऑब्जेक्शन
सावधानी बरतें, करे परहेज़, तभी होगा कोरोना नियंत्रण
बनाये रखो संयम, चल रहा है वैक्सीन का परीक्षण।
~ Jalpa
आज देखो पूरी दुनिया की मंजिल एक हुई है
घर में रहकर भी दुनिया एक रास्ते पर चल रही है
हर देश कोरोना पर जीत हासिल करना चाहता है
सब दुआ में हाथ उठाकर एक ही दुआ मांग रहे है
हम सबका हौसला ही बना आज हमारा सहारा है
रखना है हमें सब्र साथ में ख़ुदा की रहमत भी तो है
धीरे-धीरे करके रास्ता ख़तम होगा और मंजिल पाएंगे
यह मत भूलना सफ़र में कुछ सबक हमें सीखना है।
~ Jalpa
सोचा चल रहे हालात का कुछ बयां लिखूँ
सामाजिक दूरी या परिवार की नजदीकी लिखूँ
सुनसान रास्ते या धरती को मिला सुकूँ लिखूं
पिंजरे में बंध इंसान या आज़ाद उड़ता पंछी लिखूँ
वीरान मंज़र या चलते मजदूर की कतार लिखूँ
रद्द हुई परीक्षा या ज़िन्दगी में आया इम्तहान लिखूँ
कोरोना के साथ जंग या भूखे पेट की तलब लिखूँ
ठहरी ज़िन्दगी या मौत और ज़िन्दगी में छिड़ी जंग लिखूँ
हिन्दुस्तान पर ताला या खींची हुई लक्ष्मण रेखा लिखूँ
पशुओं पर अत्याचार या इंसान का इंसान पर वार लिखूँ
कुदरत के साथ खिलवाड़ या रक्षकों का बखान लिखूँ
सोचा चल रहे हालात का कागज़ पर कुछ बयां लिखूँ।
~ Jalpa
It is for our best, this lock down is must
We all have to keep courage and patience
One can’t stop this pandemic alone
We’ll have to fight against this together
This is very easy to say but difficult to bear
But it’s all about only for our care
Don’t panic, nothing to fear
Essential services are open for survival
Roads are empty, birds seems happy
pollution is much down and climate has become airy.
This is a gesture of nature to save the nature
It’s time to understand that the soul resides in every creature.
~ Jalpa
ऐ इंसान! तूने खूबसूरत सी धरा को, बदसूरत है कर डाला
बेजुबां जानवरों पर अत्याचार करने का, मिला है यह नतीजा
यह वहीं सृष्टि है जहाँ साथ रहकर भी, करते थे आपस में झगड़ा
आज देखो दूर रहकर भी, हुआ है एकजुट संसार सारा
हर जीव में है आत्मा बसती, कर रहा है यही कुदरत इशारा
सर झुका दे कुदरत के आगे, लेना है तुझे अब उसका सहारा
देख ए इंसान अभी भी वक़्त है तेरे पास, तू संभल जा जरा
वरना और भी खतरे में, पड़ सकता है अस्तित्व हमारा
जब तक न हो इसका समाधान, बस घर में ही बैठे रहना
इस तरह ही हमारे अस्तित्व को, ख़ुद हमें बचना होगा।
~ Jalpa
As we all know that our current situation of epidemic of coronavirus. we all need care and security. and nowadays our doctors are doing good job. so here I have written this letter for showing my gratitude towards all the doctors who are doing the great work for all patients.
Dear doctors
You protect us every day, but these days on the corona epidemic, you are away from your family, day and night you are taking care of patients infected with corona without any selfishness and fear. Thank you for that. It is said that the doctor is the form of God, today the whole world is seeing this form together. Salute to your work. We are not afraid of the corona virus because we hope you will protect all of us from it. And will find vaccine for this disease. Just want to say that you also take care of yourself and be safe.
Thank you so much.
~ Jalpa
The night before curfew
Will be filled with fantasies of every mind that tomorrow will be the last day of the corona virus and our country will be free from it.
~ Jalpa
कविता पर लिख रही हूँ आज मैं कविता
कविता पर लिख रही हूँ आज मैं कविता
मेरी कविता में सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नही है
मैंने बयां किया है मेरा हाल-ए-दिल है
मेरी कविता में सिर्फ़ पंक्तियां नही है
मैंने महसूस की हुई एक अनुभूति है
मेरी कविता में सिर्फ़ संसार का अनुभव नही है
मेरी ख़ुद की जिंदगी का लिखा मैंने तज़ुर्बा है
मेरी कविता सिर्फ़ एक कल्पना नही है
मेरी कविता हर एक मर्ज़ की दवा है
मेरी कविता सिर्फ़ दुनयावी सौंदर्य नही दिखाती
प्रकृति से प्रेम, दया, और करुणा है सिखाती
मेरी कविता सिर्फ़ एक कहानी नही है
मेरी कविता में बसा मेरा अनुराग है
मेरी कविता में सिर्फ़ कड़ियाँ नही है
मेरी कविता जैसे बजती एक तरंग है
मेरी कविता में सिर्फ़ लय, छंद नही है
मेरी कविता माँ सरस्वती की प्रेरणा से है।
~ Jalpa
A subtle virus deserted
the whole world
All roads are empty,
lockdown all schools and malls
Do not gather together
But not to worry
do appreciate each other
It’s time to come closer
Stay indoors but it’s not
about social distancing
Enjoy all family member’s
Love and make it interesting
Keep personal hygiene
Pay more attention
Wash your hands
Wear mask on face
But spread affection
Eat healthy food
Cook with your partner
Have fresh meal
on table together
Do work from home
But don’t let
society distance
Don’t panic over condition
but Don’t forget
about your safety
Awake all the people
Around you seriously
Remember that prevention
Is better than cure
But it’s not just a quote
Don’t fear of the
Corona pandemic
Just be strong.
~ Jalpa
I had a fear of School
Have to follow list of rules.
I had a fear of Elder’s fight
When I was a child.
I had a fear of Alarm
During the time of my exams.
I had a fear to feel Unsafe
Keep the world away myself.
I had a fear to Travel
Of motion sickness little.
I had a fear of telling the Truth
Because would be fool in group.
I had a fear of Marriage
For leaving all family members.
I had a fear of Beating
By angry husband’s bad dealing.
I had a fear of Divorce
For prestige loss, by family’s force.
I had a fear of losing People
When lost my sister, feel pain of heart deeper.
I had a fear about my Health
Some suspicion seen in X-ray Itself.
No need to worry about of Fear
Have to fight against it’s not Severe.
Turn your fear into more Power
Love your fear, make it your Dear.
~ Jalpa
“During the day you make someone happy and bring a smile to someone’s face…and at the end of the day by remembering that…brings a big smile on your face… That’s true Happiness.”😊
~ Jalpa
इक और आविष्कार किया खाने के शौकीन चीन ने
सीमाओं से निकलकर खतरा फैलाया पूरे विश्व में
तुलसी, अदरक, गिलोय, सब अपने-अपने नुस्खे बताते है
कौनसा इलाज! पक्का नहीं पता कौनसा काम आता है
वो दिन गए सब भूल जब अभिवादन में हाथ मिलाए जाते थे
आज भारत के नमस्कार के संस्कार को पूरी दुनिया ने अपनाया है
साँस से साँस मिलाकर जीवनदान देते कभी सुना था
अब साँसों में समाकर कोरोना साँस छीन जाता है
कभी हिफाज़त-ए-हुस्न को परदा गिराया करते थे
आज रक्षा हेतु हरएक मुँह पर नक़ाब लगाएं फिरते है
गर रोकना हो विषाणु का संक्रमण होते हुए
सब मिलकर एहतियात बरतें, वरना गंभीर खतरा बन सकता है
कहाँ से पैदा हुआ यह कोरोना, या है कुदरत का कोई इशारा
जल्द ही इसका समाधान खोजें, हरकोई यही उम्मीद लिए बैठे है।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
धन्यवाद।
My favourite colour is white
Because when I feel dark, it gives me light.
My favourite colour is blue
Because when I feel down, it reminds my value.
My favourite colour is green
Because when I feel old, it keeps me sweet sixteen.
My favourite colour is yellow
Because when I feel alone, it connects me with good fellows.
My favourite colour is pink
Because when I start to drown my mind, it becomes my brink.
My favourite colour is red
Because it keeps my worth alive, when my self love fade.
My favourite colour is black
Because when I go to my dark days, it brings me back.
You should love all the colours
Because they never let your life become colourless.
© 2020 Jalpa lalani ‘Zoya’ All rights reserved.
Thank you for reaching!
मुझे याद आती बचपन की वो होली
एक साथ निकलती हम बच्चों की टोली
रंग, गुलाल, पानी के गुब्बारे, और पिचकारी
कर लेते थे अगले दिन सब मिलके तैयारी
रंग-बेरंगी कपड़े हो जाते
जैसे इन्द्रधनुष उतर आया धरती पे
रंग जाते थे संग में सब के बाल
ज़ोरो ज़ोरो से रगड़ के लगाते गुलाल
बाहर निकलते ही सब को डराते
किसीके घर के दरवाज़े भी रंग आते
सामने देखते बड़े लड़को की गैंग
सब को चिड़ाते वो सब पी के भांग
वो सब के साथ मिलके गाते गाने
वो चिल्लाते जाते… होली है…!
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
धन्यवाद।