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जीने की हसरत है

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नहीं सीने में दिल फ़िर भी मुझे जीने की हसरत है,

अजब है ये हुई भी चोर-ए-दिल से ही यूँ चाहत है।

यूँ आँखें मूंद कर सब पर यकीं कर लेती हूँ अक्सर,

मिले धोखा तो कह देती यही तो मेरी किस्मत है।

हूँ बर्दाश्त के क़ाबिल, मुश्किलें यूँ मुझ पे आती हैं,

यक़ीनन हूँ नज़र में मौला की ये उसकी रहमत है।

ये ना समझो कि कोई ग़म नहीं होता है मुझ को भी,

छुपाना दर्द को अब बन गई मेरी भी आदत है।

अदा ‘ज़ोया’ न कर पाओ नमाज़, करना मदद सबकी 

समझ लेना ख़ुदा की कर ली तूने वो इबादत है।

Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’