1222 1222 1222
तुम्हारी यूँ गुलाबी यादें आती है,
मिरे दिल को सुकूँ थोड़ा दे जाती है।
गुज़र जाता है यादों के सहारे दिन,
जुदाई तेरी, रातों में सताती है।
तसव्वुर में शुआओं सी तिरी सूरत,
मुझे अब भी ये सोते से जगाती है।
कि करती है मुहब्बत वो हमें इतनी,
न जाने फ़िर जहाँ से क्यों छुपाती है।
यूँ ख़्वाबों में मिरे आकर कभी वो तो,
हँसाती है, कभी वो ही रुलाती है।
ये कैसा रिश्ता है, ये राब्ता कैसा,
बुलाती पास है फ़िर दूर जाती है।
Copyright © 2022 Jalpa lalani ‘Zoya’
बहुत सुन्दर |
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बहुत शुक्रिया😊
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It’s amazing
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बहुत शुक्रिया😊
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