2212 2212
मैं लब हूँ वो अल्फ़ाज़ है,
मैं नज़्म, वो जज़्बात है।
दिल की ज़मीं सूखी मेरी,
वो अब्र, वो बरसात है।
हर वक़्त, हर पल पास है,
वो दिन, वो मेरी रात है।
फ़िक्र-ए-सुख़न में मेरी वो,
तहरीर का एहसास है।
क़ुरआन का वो हर सफ़ा,
वो सूरा वो आयात है।
वो ज़ीस्त-ए-ज़ोया की हर,
खुशियों की वो सौग़ात है।
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’ (सर्वाधिकार सुरक्षित)
शुक्रिया😊
बेहद खुबसूरत..
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बहुत शुक्रिया आपका😊
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