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यूँ तुम से दूर रहना होता, बर्दास्त नहीं हमसे,
कि तेरे हसरत-ए-दीद में बिछाई आँखें है कबसे।
धुन:-कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है(डॉ. कुमार विश्वास जी की रचना)
Copyright © 2021 Jalpa lalani ‘Zoya’
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यूँ तुम से दूर रहना होता, बर्दास्त नहीं हमसे,
कि तेरे हसरत-ए-दीद में बिछाई आँखें है कबसे।
धुन:-कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है(डॉ. कुमार विश्वास जी की रचना)
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माँ देवकी ने जन्म दिया, माँ यशोदा का पुत्र कहलाए
एक हाथ में बंसी उसके, दूजे से मटकी फोड़ माखन चुराए
सबका प्यारा नटखट लाला, मैया यशोदा को बड़ा सताए
राधा को जलाने शरारती कान्हा, गोपियों संग रास लीला रचाए
रसिया कान्हा रक्षक बन, सभा में द्रोपदी की लाज बचाए
हर बच्चे को समझाए कृष्ण ज्ञान, तभी जन्माष्टमी सफल हो जाए।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
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आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।🇮🇳
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