इज़हार-ए-इश्क़ में कुछ क़समें झूठी सी उसने खाई थी,
यक़ीन नहीं आता, क्या मोहब्बत भी झूठी दिखाई थी?
सरेआम नीलाम कर दिए उसने मेरे हर एक ख़्वाब को,
जिसने मेरे दिन का चैन औ मेरी रातों की नींद चुराई थी।
जिसे समझ बैठी थी मैं आग़ाज़-ए-मोहब्बत हमारी,
दरअसल वो तो मिरे दर्द-ए-दिल की इब्तिदाई थी।
यूँ तो नज़रअंदाज़ कर गई मैं उसकी सारी गलतियां,
मगर क्या अच्छाई के पीछे भी छुपी उसकी बुराई थी!
अब कैसा गिला और क्या शिकायत करूँ उस से!
जब दोनों के मुक़द्दर में ही लिखी गई जुदाई थी।
उसकी इतनी बे-हयाई और बेवफ़ाई के बावज़ूद भी,
माफ़ कर दिया उसे, ये तो ‘ज़ोया’ की भलाई थी।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
शुक्रिया🙂
Kasme vaade pyar wafa sab baatein hain baaton ka kaya 😊
Stay blessed Zoya. Stay loved 🥰
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वाह👌 I love old songs😊 Ameen. Love❤️
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बहुत सुन्दर…
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बहुत बहुत शुक्रिया😊
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वाह बहुत सुंदर
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बहुत बहुत शुक्रिया😊
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dil ko chhuti bahut hi bejod rachna…….umda lekhan..
करते थे प्रेम,
जिसे रब माना,
वो मेरे हो ना सके,
स्वार्थी था दगा दे गया,
दिल से मजबूर हम,
सजा दे ना सके|
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वाह, बेहद खूबसूरत। सराहना के लिए धन्यवाद आपका😊
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स्वागत आपका।
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बहुत सही लिखा है😊
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Sooo heart-touching! ❤
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