तेरी ज़ुल्फ़ तले राहत देती हैं कुछ शाम,
तन्हाई में प्यास बुझाते तेरे यादों के जाम।
तेरी झुकी आँखों से फैला गहरा काजल,
लिख देता है मेरे दिल पर इश्क़ का पैगाम।
अंदाज़-ए-गुफ़्तगू तेरा दिल पर करता वार,
जब तूम भेजती हो यूँ इशारों से सलाम।
छूती है जब तेरे मीठे लबों से चाय,
दूर कर देती है मेरी दिन भर की थकान।
शाम-ओ-सहर दिल के कोरे काग़ज़ पर,
लिखता हूँ बस तेरा ही इक नाम।
चला दे गर मेरे दिल पर तू हुकूमत,
ये नाचीज़ बन जाए ताउम्र तेरा ग़ुलाम।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
शुक्रिया
So beautiful
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Thank you💕
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Lovely❤❤
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Thank you💕
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बेहद सुंदर 👌
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शुक्रिया💕
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क्या बात। बेहतरीन रचना।
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बहुत बहुत शुक्रिया😊
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V.nice..
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बेहतरीन रचना
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