चल इस दुनिया से दूर कहीं हम दोनों चले जाते हैं,
नदी से मोहब्बत और फल से मीठा रस लाते हैं।
आसमाँ को चादर और जमीं को बिछौना बनाते हैं,
सूरज की रोशनी और ठंडी हवा से सुकून पाते हैं।
फूलों से खुशबू और चाँद से चाँदनी चुरा लाते हैं,
चलो उस जन्नत में जाकर आशियाना बनाते हैं।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
शुक्रिया
Reblogged this on B +Ve!!.
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Thank you so much for reblogging my post❤️
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My pleasure! 😍
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Nice poetry!
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Thank you😊
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Welcome
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Amazing ❤️❤️❤️
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Thank you😊
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति /
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बहुत शुक्रिया😊
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बहोत खूबसूरत 💚
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बहुत शुक्रिया😊
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Thank you😊
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बेहद उम्दा पंक्तियाँ 💕🤗
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बहुत बहुत शुक्रिया😊
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‘चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो’ पाकीज़ा का गीत याद आ गया।
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अच्छा!!☺️ बहुत बहुत शुक्रिया❤️
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