‘मेरी कविता’ उनवान पर आज हूँ लिखती मेरी कविता,
सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, मेरे जज़्बात बयां कर जाती मेरी कविता।
मेरी कविता में लिखा है मैंने ज़िंदगी का तज़ुर्बा,
सिर्फ पंक्तियां नहीं, एहसास महसूस कराती मेरी कविता।
मेरी कविता फ़क़त एक दास्ताँ नहीं, ख़ुलूस-ए-निहाँ हैं,
सिर्फ तसव्वुर नहीं, हरेक मर्ज़ की दवा देती मेरी कविता।
मेरी कविता सिर्फ दुनयावी खूबसूरती नहीं दिखाती,
क़ायनात से मोहब्बत, रहम करना सिखाती मेरी कविता।
सिर्फ लय, छंद, अलंकार नहीं, मेरी कविता बजती तरंग है,
माँ शारदे की आराधना से है आती मेरी कविता।
© Jalpa lalani ‘Zoya’ (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित
Note: यह रचना प्रकाशित हो चुकी है और कॉपीराइट के अंतर्गत आती है।
शुक्रिया।
सुन्दर रचना 👌
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बहुत बहुत शुक्रिया😊
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बहुत खूब।
On Wed, Nov 11, 2020 at 11:06 AM Zoya Ke Jazbaat wrote:
> Zoya Ke Jazbaat posted: ” ‘मेरी कविता’ उनवान पर आज हूँ लिखती मेरी > कविता,सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, मेरे जज़्बात बयां कर जाती मेरी कविता। मेरी कविता > में लिखा है मैंने ज़िंदगी का तज़ुर्बा,सिर्फ पंक्तियां नहीं, एहसास महसूस कराती > मेरी कविता। मेरी कविता फ़क़त एक दास्ताँ नहीं, ख़ुलूस-ए-निहाँ ह” >
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बहुत बहुत शुक्रिया। आप बताएगी ये क्या है? मुझे समझ मे नहीं आया।😊
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This is beautiful 💕😊
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Thank you😊
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So beautiful and profound work.📝👌👏
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Thank you so much😊
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