तपती धूप में है घने दरख़्त सा बड़ों का साया
ग़म के अँधेरे में हैं ख़ुशियों सा जगमगता दिया
सफ़र-ए-ज़ीस्त में हरदम उसे साथ खड़े हैं पाया
ख़्वाहिश हुई मुकम्मल दुआ में जब हाथ उठाया
सिरातल मुस्तक़ीम का रास्ता उसने है दिखाया
ख़ुशनसीब हैं वो जिसके सर पर है बड़ों की छाया।
© Jalpa lalani ‘Zoya’
शुक्रिया।
Bilkul sahi kaha aapne
Sundar rachna
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जी धन्यवाद😊
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👌👌
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जी धन्यवाद😊
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☺☺
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बहुत सुंदर रचना
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जी धन्यवाद😊
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बहुत ख़ूब !!!
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जी धन्यवाद😊
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बहुत खूब!!
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धन्यवाद आपका😊
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😊😊
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चोट लगने पर लब पर रब के पहले जिनका नाम आया आया है
जिसने बिना कहे हर ख्वाब को हकीकत बनाया है
ऐ! रब बस इनको कभी हमसे दूर मत करना
क्योंकि यह को तोहफा है जो हमने तुझीसे पाया है
बेहतरीन ज़ोया। आपके लफ्जो ने हमें भी मौका दिया हमारे अम्मी अब्बू के लिए दुआ करने का और उनकी एहमियत को ज़्यादा समझने का। बहुत बहुत शुक्रिया 😇♥️🌸🧚♀️
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बेहद खूबसूरत पंक्तियां👌 जी सराहना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका😊
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हमें खुशी है आपको पसंद आया 😇♥️🌸🧚♀️
अच्छे को अच्छा कहना तो खुशनसीबी होती है🤗🤗😘
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