चाँद की मद्धम रोशनी तले बाहों के बिस्तर में पूरी रात गुजारी है
प्यार भरे लम्स से कोमल कली खिलकर खूबसूरत फूल बन गई है
दो जिस्म के साथ रूह के मिलन की सितारें देने आए गवाही है
दोनों बहक कर इश्क़ में पिघल रहे इस नशे में रात हुई रंगीन है
मिलन की प्यास है अधुरी, सूरज की किरणें धरा को चूमने वाली है
दिल में अजीब सी बेताबी है पर तुम जाओ प्रिये सुबह होने वाली है।
बहुत ही प्यारी कविता है। मुझको यादों के पन्नों में ले गईं है आपकी पंक्तियाँ🌸😊
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जी सरहाना के लिए बहुत शुक्रिया आपका😊
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Wowww💖
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जी शुक्रिया आपका😊
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