Month: May 2020
सुरक्षित रहें
हुआ एक और प्रकृति का कहर, कैसी है ये कुदरत की नाराज़गी
ख़त्म कहाँ हुई कोरोना महामारी, अम्फान तूफ़ान ने मचाई तबाही
बख़्श दे हम सभी को मौला, करते है साथ मिलकर यहीं विनती
भुगत रहे हैं हानि, अब शांत कर इन तूफानों की अफ़रा-तफ़री
ऐ ख़ुदा सब सुरक्षित रहें कर दे ये इनायत, सुन ले ये दुआ हमारी
आपदा की इस मुश्किल घड़ी में, बस साथ है एक रहमत तुम्हारी।
~Jalpa
आगाज़-ए-शायरी(हिंदी शायरी)
ख़ुद से ख़ुद का जोड़ लिया है राब्ता
इस फ़रेबी दुनिया में अब नहीं आता किसी पर भरोषा।
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सब को दर्द बाँटते बाँटते
हमदर्द तो नहीं मिला
हर बार ज़ख्म ताज़ा हुआँ
अब मरहम भी नहीं मिलता।
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कमरा भी इतना महक ने लगा कि
इतनी खुश्बू ही उनकी बातों में थी।
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आख़िर किस हद तक रिश्ते में झुका जाए
यह तराजू है जिंदगी का
गर दोनो और से समान रखा जाए
तो घाटा नहीं होगा किसिका।
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क्यूँ शिकायत करते हो कि तन्हा हूँ दिल से
यहाँ हर कोई अकेला है भरी महफ़िल में।
★★★★★★★★★★★★★★★
आ गया उनपे हमें इतना एतबार
एक दिन कर दिया उसने इज़हार
हो गया था हमें भी प्यार
कर बैठे हम भी इक़रार।
~Jalpa
English Quotes
Technology is very useful in communication and sharing.
★★★★★★★★★★★★★★★
The technology is useful or dangerous it depends on the users.
★★★★★★★★★★★★★★★
Limited use of technology is helpful and excessive use is distracting.
“माँ अनमोल है”
कहते है हर एक के जीवन में कोई न कोई प्रेरणा बनकर आता है
पिता, माँ, भाई, बहन, दोस्त, सेलेब्रिटी, या फ़िर कोई अजनबी
वैसे ही मेरे जीवन में मेरी प्रेरणा बनी मेरी माँ।
बचपन से देखती आ रही हूँ तब समझ थोड़ी कम थी
आज समझ में आया माँ के अंदर कितनी ख़ासियत थी।
माँ की दिनचर्या सुबह के पहले पहर से शुरू हो जाती
सर्दी हो या गर्मी पहले घर का आँगन साफ़ करती।
नाहकर प्रभु का ध्यान धरती, घर मे भी साड़ी पहनती
उनकी वो बिंदी, वो चूड़िया, आँखों का वो सूरमा
हमारे उठने तक तो चाय-नास्ता भी बन जाता।
मेरे भी थे अरमान माँ के जैसा पहनावा मैं भी पहनूँगी
बड़ी हो कर कुछ अवसर पर भी बड़ी जहमत से सब संभाल पाती।
कैसे कर लेती थी माँ ये सब पहनकर भी घर का सारा काम
सबकी जरूरते पहले पूरी करती अपना ख़ुद का कहा था उसको ध्यान।
एक तो घर का काम, फ़िर बाहर पानी भरने जाना
क्या इतना कम था कि मंदिर में भी करती थी समाज सेवा।
कहाँ से मिलता था इतना समय, आज सब सुख-सुविधा
के बावजूद भी हम कहते है समय कहाँ है हमारे पास।
हमें पढ़ाना-लिखाना, तैयार करके पाठशाला भेजना
सब की पसंद का खाना बनाना
जितना लिखूं उतना कम पड जाए
शायद माँ पर लिखने के लिए दुनिया के सारे कागज़ भी कम पड़ जाए।
खाना पकाना सिखाती, तमीज़ से बात करना सिखाती
घर के सारे काम से लेकर बाहर की दुनिया का ज्ञान भी देती।
रात को बिना भूले दूध देती कभी मना करे तो डांट कर भी पिलाती
पूरे दिन का हाल बतियाती, बड़े प्यार से साथ में सुलाती।
सब के सोने के बाद आख़िर में वो सोती सर्दी में आधी
रात में अपना कम्बल भी हम बच्चों को ओढ़ाती।
फ़िर भी सुबह पहेले उठ जाती, आज तक नहीं पूछा,
आज पूछती हूँ ऐ माँ ! क्या तुम थक नहीं जाती?
बताओ ना माँ, क्या तुम थक नहीं जाती?
हमें साफ सुथरा रखना, खाना खिलाना, दूध देना
पढ़ाना, हमारे साथ खेलना नित्यक्रम था उनका।
पता नही क्या बरकत है उनके हाथों में
थोड़े में भी कितना चलाती फ़िर भी कभी पेट रहा न हमारा खाली।
इतनी उम्र में भी आज है वो चुस्त-दुरुस्त आज भी वो कितना काम कर लेती
फ़िर भी टी. वी. पर अपनी पसंदीदा सीरियल छूट ने नहीं देती।
मुझे कहती है तू अकेली कितना काम करेगी
इतनी छोटी उम्र में भी माँ जितना मैं नही कर पाती।
माँ का कोई मोल नहीं ,माँ तो अनमोल है
आज मैं जो भी हुँ, जो भी मुझे आता है
मेरी माँ के दिये संस्कार है, मेरी माँ का दिया प्यार है।
सब कहते है मैं माँ की परछाईं हूँ
पर माँ मैं तेरे तोले कभी ना आ पाऊँगी
मेरी माँ मेरी प्रेरणा है, मेरी माँ मेरे लिये भगवान है।
बस इतना ही कहना चाहूँगी
अब अपने आँसुओं को रोक ना पाऊँगी
इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी….
इसके आगे अब लिख ना पाऊँगी….
~Jalpa
Inspirational Quotes
You need patience and hard work to achieve your goal. Stay away whatever negativity comes to achieve your goal.
★★★★★★★★★★★★★★★
Let’s raise awareness. The more we know, the more we reduce risk.
Let’s make the world cancer free,
Let’s make history.
★★★★★★★★★★★★★★★
Don’t worry about fear
It’s not severe
Turn fear into more power
Love fear, make it dear.
★★★★★★★★★★★★★★★
Prevent bad habit and love your good habit more than bad habit, bad habit will go itself.
★★★★★★★★★★★★★★★
Life is also like a movie, but in the movie there is a happy ending, but life’s end is uncertain.
~Jalpa
आगाज़-ए-शायरी(हिंदी शायरी)
“खुशी”
मुद्दतों से देख रहे थे राह तेरी
तू आयी भी तो तब
जब सफ़र ख़त्म होने को है।
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गलत सोच थी मेरी
दुःख की इमारत मेरी है सबसे बड़ी
जब किया मैंने सफ़र
हर इमारत बड़ी निकली।
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ज़्यादा नही बदला मेरा बचपन
पहले सब रोकते थे
और हम खेलते थे
अब सब खेल रहे है हमसे
और हम रुके हुए से हैं।
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प्यार हुआ पर पूरा ना हुआ
ख़्वाब देखा पर ज़रा देर से देखा
मुलाक़ातें हुई मगर अधूरी रही
जुदा हुए मगर एहसास कम ना हुआ।
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बाहों में उनके लेते ही हम तो पिघल से गये
पता ही नही चला कब हम उनके इतने क़रीब आ गए।
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अक्सर हमारे पैरों में कांटा चुभना भी गवारा नही था उनको
अब दिल के ज़ख़्म का भी एहसास नहीं उनको।
~Jalpa